आज फूल कुछ उदास से है
पतझड़ नहीं है,
फिर भी पीले पत्ते मुझ पर गिर रहे है
फूल खुशबू बिखेर रहे है
पर अनमने से है
नहीं.... नहीं
फूल उदास नहीं है
ये तो उदास मन की व्यथा है
जो हर जगह उदासी को देखता है
लेकिन
जानता है मन
इन उदासियों में
सच में फूल खिलेंगे
बस, कुछ दिनों की बात है
तब तक उदास शामों को
रोशन रखते है
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है
टिप्पणियाँ
तब तक उदास शामों को
रोशन रखते है !!
बहुत खूब👌👌आशा पर संसार जीवित है। सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें।