नहीं जरुरत है हमे किसी भाषा की या फिर किसी लिपि की मत ईजाद करो कुछ तौर तरीके किसी के दिल में घर करने को आँखों को पढ़ने के लिये तुम्हे कुछ सीखना नहीं पड़ेगा नहीं जरुरत गहन विश्लेषण की नहीं जरुरत भाषाई सुंदरता की समझो....... कि हम मे से कोई भी मोहताज नहीं है शब्दों के संवेदनशील है हम मुक रहकर मौन को जी कर सच कहती हूँ..... जरुरत नहीं है हमे किसी भाषा की किसी लिपि की तुम बस मुस्कुराया करो खिलखिलाया करो और कभी मन करे....तो दो आँसु बहाया करो इनकी कोई लिपि नहीं होती....फिर भी हर भाषाई जानकार समझ जाता है इन्हे ये मानवता की भाषा है तुम बस इसे समझना सीखो और हाँ..... तुम चित्र बनाना सीखो नृत्य सीखों, घूंघरुओं को बजाओ या सीखो कोई ऐसी कला जो नहीं बँधी हो भाषा के दायरों में यह एक अनुभूति है जो भाषाओं की दुनिया में भाषाओं से परे भाषाओं से कही उपर है उन अनुभूतियों में हम सब एक है एकांत है
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है