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अगस्त, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भाषा

नहीं जरुरत है हमे किसी भाषा की या फिर किसी लिपि की मत ईजाद करो कुछ तौर तरीके किसी के दिल में घर करने को आँखों को पढ़ने के लिये तुम्हे कुछ सीखना नहीं पड़ेगा नहीं जरुरत गहन विश्लेषण की नहीं जरुरत भाषाई सुंदरता की समझो....... कि हम मे से कोई भी मोहताज नहीं है शब्दों के संवेदनशील है हम मुक रहकर मौन को जी कर सच कहती हूँ..... जरुरत नहीं है हमे किसी भाषा की किसी लिपि की तुम बस मुस्कुराया करो खिलखिलाया करो और कभी मन करे....तो दो आँसु बहाया करो इनकी कोई लिपि नहीं होती....फिर भी हर भाषाई जानकार समझ जाता है इन्हे ये मानवता की भाषा है तुम बस इसे समझना सीखो और हाँ..... तुम चित्र बनाना सीखो नृत्य सीखों, घूंघरुओं को बजाओ या सीखो कोई ऐसी कला जो नहीं बँधी हो भाषा के दायरों में यह एक अनुभूति है जो भाषाओं की दुनिया में भाषाओं से परे भाषाओं से कही उपर है उन अनुभूतियों में हम सब एक है एकांत है

वो कृष्ण है

जो जीवन जीना सीखाये हर रंग में रंग जाना सीखाये वो कृष्ण है जो मान दे सभी को सबके दिलों में समा जाये वो कृष्ण है जो रास रचाये,बंसी बजाये महाभारत में शंखनाद करे वो कृष्ण है जो यशोदा का प्यारा है देवकी का दुलारा है वो कृष्ण है जो रुक्मिणी का है....पर राधा के बिना आधा है वो कृष्ण है

कश्मीर

खुशियाँ क्या होती है? आज चहकते चिनार से पूछिये घाटी की वादियों से पुछिये पुछिये उन नजारों से जो सहमे सहमे से जन्नत की सैरगाह कहलाते थे खुशियां क्या होती है ? उन लाखों धड़कते दिलों से पुछिये जो अपने ही घर में पराये से रहते थे पुछिये उन पहाड़ों से जो खुशी से आज थोडें ऊँचें से अधिक है उन झीलों से पुछिये जो आज झिलमिला कुछ ज्यादा रही है देवदार के पेड़ आज आमादा है आसमान को गले लगाने घाटी की सड़के हमेशा की तरह लहरदार है पर आज बेखौफ कुछ ज्यादा है पुछिये उस लाल चौक से जो विरान सा था.... देश का मस्तक होकर भी मुकुट विहिन था उसकी खुशी आज बेहद बेहिसाब है बदल गई है नजर सज गया है हर मंजर पुछिये मेरे कश्मीर से जहाँ आज खुशियाँ दस्तक दे रही है