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काम ही पूजा है

हर रोज सुबह की सैर मुझे पूरे दिन के लिये शारीरिक मानसिक रूप से तरोताजा करती है। सैर के बाद हम एक भैयाजी के पास गाजर, बीट, हल्दी, आंवला ,अदरक और पोदीने का जूस पीते है, जिसकी मिक्सिंग हमारे अनुसार होती है। हम उनके सबसे पहले वाले ग्राहक होते है , कभी कभी हम इतना जल्दी पहूंच जाते है कि उन्होने सिर्फ अपना सब सामान सैट किया होता है लेकिन जूस तैयार करने में उन्हे पंद्रह मिनिट लग जाते है, जल्दबाजी में नही होती हूँ तो मैं जूस पीकर ही आती हूँ, वैसे आना भी चाहू तो वो आने नहीं देते , दो मिनिट में हो जायेगा कहकर, बहला फुसला कर पिलाकर ही भेजते है। उनकी अफरा तफरी और खुशी दोनो देखने लायक होती है।
     आज सुबह भी कुछ ऐसा ही था, हम जल्दी पहूंच गये और उन्होने जस्ट सब सैट ही किया था , मैं भी जल्दबाजी में थी क्योकि घर आकर शगुन का नाश्ता टीफिन दोनों बनाना था। हमने कहां कि आज तो लेट हो जायेगा आपको, हम कल आते है लेकिन भैयाजी कहाँ मानने वाले थे । उन्होने कहा कि नयी मशीन लाये है , आपको आज तो पीकर ही जाना होगा, अभी बनाकर देते है। मुझे सच में देर हो रही थी लेकिन फिर भी उनके आग्रह को मना न कर सके और वो अपनी नयी मशीन को हमे दिखाने लगे कि 36000 की ली है। उन्होने उस मशीन को साफ पानी से धोया, सैट करके उसे फुलों का हार पहनाया , बहुत सारी अगरबत्तीयों को एक साथ जलाया और पूरी श्रद्धा के साथ नयी मशीन के चारों तरफ घुमाया, गाजरों पर घुमाया और एक बीट लेकर उसमे अटका दिया । मशीन पर हाथ लगा कर फिर उसे अपने ललाट और ह्रदय स्थान पर लगाया। ततपश्चात उन्होने आनन फानन जूस निकाला । पहला गिलास जूस भरा और एक दुसरे गिलास में पानी भरा । अपने ठेले के एक तरफ जाकर उन्होने पहले जूस गिराया फिर पानी। यह क्रिया लगभग हर सुबह मैं चाय की टपरी पर देखती हूँ, थोड़ा बहुत रिजन भी जानती हूँ फिर भी मैंने भैयाजी से पूछ लिया कि आपने ये नीचे क्यो गिरा दिया। भैयाजी मुस्कुराकर बोले कि गिराया नहीं है , धरती हमारी माता है, हमे गोद में रखती है तो सबसे पहला गिलास उनके नाम । फिर उन्होने फटाफट हमे दो गिलास दिये और अपने बाकी ग्राहकों को देने लगे । भैयाजी का सीधा सा फंडा है , ठेले पर आये ग्राहक को बिना जूस पीये जाने नहीं देना है , यही उनका बिजनैस मंतरा है , मान मनुहार या आग्रह कर वो हर ग्राहक को खुश कर देते है।
     आज मुझे पंद्रह बीस मिनिट लेट हुआ लेकिन जीवन का एक बहुत बड़ा फ़लसफा़ आज मैंने उनसे सीखा कि आपका काम आपकी पूजा है , उसे शिद्दत से पूरा करना आपका धर्म है , प्रकृति के प्रति कृतज्ञता आपकी इंसानियत है ।
   जीवन हर दिन हर पल हमे सिखाता है🙏🏽

टिप्पणियाँ

Ravindra Singh Yadav ने कहा…
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 25 फ़रवरी 2025 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!
Onkar ने कहा…
सुंदर प्रस्तुति।
MY GOOD NIVESH ने कहा…
Very Nice Post.....
Welcome to my blog!

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