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माँ तू याद बहुत आती है

माँ,तू याद बहुत आती है सब कहते है कि भुल जाऊँ तुझे और बढ़ूँ आगे लेकिन तू ही बता,कैसे भुलू ? दिन रात तेरी ही याद सताती है माँ,तू याद बहुत आती है। सब कहते है,बीति ताहि बिसार दे लेकिन कैसे बिसार दूँ उन पलों को जिनमें तू समायी है हर बात तेरी ही बात बताती है माँ,तू याद बहुत आती है। मेरी आँखों से तरल बहता है होंठों से सिसकियाँ छूटती है हर ओर तेरी सूरत नजर आती है माँ,तू याद बहुत आती है। मैं ब्याह के आयी, तुझे छोड़ के आयी तेरे बिन जीना भी सीखा क्योंकि,तेरी बातें,तेरी नसीहतें सीखा रही थी मुझे जीवन की हक़ीक़तें तेरी नज़रें मेरी हर चुक को सुधारती थी लेकिन अब ना तू है ना तेरी नज़रें तेरा युँ मुझे छोड़ के जाना ख़ुदा की बात ये बेमानी है माँ,तू याद बहुत आती है। जब तू थी दुनियाँ बड़ी हसीं थी और मैं उसमें मगन थी अब तू नहीं फिर भी हर तरफ तू ही तू है तेरे बिन ये दुनियाँ भी बेगानी है माँ,तू याद बहुत आती है।