जब हम किसी भी तरह की परेशानी में होते है तो उस वक्त हमे और अधिक कलात्मक या रचनात्मक हो जाना चाहिये। रचनात्मकता से मेरा तात्पर्य किसी विशेष उपलब्धि से नही है । कोई भी साधारण सा काम, जिसे आपने मन से किया , बस,वो रचनात्मक है और कलात्मक भी। ये सभी साधारण काम आपको असाधारण रुप से मजबूत करेंगे ।कभी कभी जब इन साधारण से कामों पर आपकी पीठ थपथपाई जायेगी तो वो अपने आप में अद्भुत होगा , आपका मनोबल इतना अधिक बढ़ जायेगा कि तकलीफे हाथ छुड़ाकर भाग जायेगी। हर तरह का वो काम करे जो आपको तृप्ति दे और उससे मिलने वाली प्रशंसाओं को सहेजे । वे कतई आपके घमंड की विषयवस्तु नहीं है , बल्कि ये प्रशंसापत्र तो दस्तावेज़ है आपके अपने उत्थान के। आपके हर आगे बढ़ते कदम का मार्ग प्रशस्त करते है ये शब्द। बस, शब्दों के मर्म को पहचानने की समझ रखे । औपचारिकता और आत्मिकता के भेद को खंगालते हुए बना डालिये पुलिंदा इन भावों का, शब्दों का। आंनद महसूस करते हुए जीते रहे जिंदगी। कोई न भी बने तो खुद अपना मनोबल बने और टूटने न दे खुद को। भले ही समय विकट है पर यह आपको एक दिशा दे रहा है ....आयाम दे रहा है । इस ज
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है