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लस्ट फॉर लाइफ

किसी भी जीवनी को पढ़ना एक अद्भुत अनुभव होता है। आप किसी एक व्यक्ति को एक खास व्यक्तित्व में ढलते देखते है उसके जीवन के आयामों से गुजरते हुए खुद को महसूस करते है । कही न कही किसी भी जीवनी को पढ़ते हुए एक क्षण या पन्ना, पैराग्राफ  ऐसा आता है कि आप खुद को उस किताब में महसूस करने लगते है। वॉन गॉग को पढ़ना सच में अद्भुत है । अभी आधी ही पढ़ पायी हूँ क्योकि कितने ही पैराग्राफ को दो दो बार पढ़ती हूँ....जिसे पढ़ते हुए रोंगटे खड़े होते है या मन विभोर होता है या कुछ भीतर पिघलता सा लगता है ....उन पैरेग्राफ को नोट्स बनाकर उतार रही हूँ...क्योकि समय के साथ सब धुंधला हो जायेगा।        इस किताब के कुछ शुरुआती प्रसंग है जिसमे पहली बार विंसेंट चित्र बनाते है और उन चित्रों को बनाने के बाद उनकी जो अनुभूति होती है वो अवर्णनीय है। भूख प्यास के मायने मिटा देते है जब वो रंगों में डूबते है।         एक और प्रसंग जो भाव विभोर कर गया , वो है विंसेंट के छोटे भाई थियो का विंसेंट से मिलने आना ।         थियो, जो विंसेंट से छोटा है पर उसका विंसेंट के प्रति नजरिया अभिभावक जैसा है। दोनों के रहन सहन, पहनावे और जीवन श

वैलेंटाइन्स डे

अगर प्यार को स्थाई रुप से अपनी जिंदगी में चाहते है तो उसे खुद में ढूंढिये। जिस तरह ईश्वर के लिये कबीर कहते है ..."मोको कहाँ ढूंढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास रे" । जिस तरह ईश्वर आपको सिर्फ मंदिर की मूर्ति में नहीं मिलने वाला ...वो मूर्ति आपकी आस्था हो सकती है। ईश्वर से साक्षात्कार तभी महसूस कर पायेंगे जब आप उनकी स्थापना ह्रदय में करेंगे ।       बिल्कुल यही बात प्रेम को लेकर है , उसे बाहर किसी व्यक्ति विशेष में मत ढूंढिये, उसे अपने भीतर पल्लवित कीजिये,आपका प्यार  से लबालब मन सिर्फ प्यार बिखेरेगा, तो कहाँ से द्वेष पायेगा?   कहाँ शिकायत करेगा ?किसी से प्यार न मिल पाने की.... प्यार बांटने के लिये ख़ुद को प्यार से भरा रखना जरुरी है, तो जिस प्यार की तलाश आप बाहर.कर रहे है, उसे ख़ुद में तलाशिये,  यकीन मानिये, जीवन ख़ूबसूरत लगने लगेगा ,  और हाँ!!... खु़द के साथ कोई ब्रेकअप भी नहीं होता। पूरे उत्साह से मनाइये आज का दिन....जीवन का हर दिन ।  Happy Valentine's day to all 😍

बजट

कभी कभी  नफ़ा नुक़सान लाभ हानि सब कुछ नापते नापते बिगड़ जाता है न केवल बजट बल्कि जीवन का गणित भी  तब मुझे खरी लगती है सिर्फ एक ही बात नेकी कर दरिया में डाल  ©आत्ममुग्धा