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सितंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अंतिम तह

कितना मुश्किल होता है किसी की सिमटी तहों को खोलना सिलवटे निकालना और फिर से तह कर सौंप देना प्याज की परतों सी होती है ये, पर प्याज की तरह नहीं खोला जाता इन्हे एक एक परत को सहेजना पड़ता है अंतस तक पहूँचकर बाहर निकलते वक्त फिर से परत दर परत को हूबहू रखना पड़ता है जानती हूँ ये ढ़ीठ होती है नहीं खुलेगी आसानी से साधक की तरह सब्र रखना होगा लेकिन विश्वास है खुलेगी....... प्याज की तरह नहीं गुलाब की पंखुड़ियों की तरह....स्वतः ही जब पायेगी ओस की बूंदों सा स्पर्श कुछ परतें पार कर ली कुछ अभी भी बाकी है अंतिम तह में दबे कुछ ग्लानि भावों को निकाल लाना है फिर सौंप देनी है सभी परतें ज्यो की त्यो क्योंकि हर परत पूँजी है उसकी नहीं अधिकार किसी को भी बेरोक टोक आने का मैं जानती हूँ उसे वो मेरी ही छाया है अंश है मेरा नहीं अनुमति देगी प्रवेश की..... कोई और वहाँ पहूँच कर तहस नहस करे उसके पहले वहाँ जाना है करीने से सब कुछ सजा कर फिर लौट आना है और लौटना ऐसा कि उसकी अंतिम तह सिर्फ उसकी बस,मैं कोशिश में हूँ

ब्रह्मांड देखा है ?

ब्रह्मांड देखा है तुमने ? मैंने विचरण किया है हवा सी लहराई हूँ उन आँखों में गहरे उतर कर जैसे ब्लैकहोल को छू लिया हो वो गहराई रम गई मुझमे नजर बदल गई, नजरिया बदल गया अब जैसे एकाकार हूँ मैं समुचे ब्रह्मांड से न जाने किसकी ओरबिट में चाँद बनी घूम रही हू्ँ तू मैं हूँ मैं तू है गहन गहनता लिये गुरुत्वाकर्षण से बाहर हूँ मैं सघन हूँ तुझमे तुम एक दिव्य पूँज की तरह स्थित हो मेरे अनाहत चक्र में जिसे, बिना तुम्हारी इजाजत ले जा रही हूँ मैं सहस्रार की ओर देखो..... उन आँखों में उतर कर पुरा ब्रह्मांड पा लिया मैंने अब बोलो क्या कहोगे इसे ?

प्रयास

एक मिशन....एक वैज्ञानिक प्रयास । इसरो का एक बेहतरीन प्रयास....जिसके अंतिम कदम पर हम फिसल गये । जब प्रयास किये जाते है तो हम लागातार सफलता की ओर कदम दर कदम बढ़ते है , लेकिन सफलता या असफलता के परिणाम को सोच कर कभी प्रयास नहीं किये जाते, इसरो ने भी नहीं किये थे। हम पहले भी रोवर को चाँद तक पहूँचा चुके है, सफलता का स्वाद हम चख चुके है । इस बार कुछ चुक हुई होगी या कुछ परिस्थितियां ऐसी बन गई होगी कि हमारा संपर्क टूट गया......लेकिन इसे नैतिक दबाव की तरह लेने की जरुरत नहीं है। वैज्ञानिक प्रयोग सतत चलने वाली प्रक्रिया है , इतिहास गवाह है पहली बार में कोई प्रयोग सफल नहीं हुए है....बल्कि ऐसी असफलताएँ तो और अधिक सतर्कता से आने वाले प्रयोगों को सफल बनाती है । ऐपीजी कलाम की आत्मकथा में मैंने पढ़ा है कि कई विफलताओं का परिणाम ही रोहिणी सैटेलाइट का सफलतापूर्वक लाँच था।         इन सब के बीच सबसे सुखद रहा हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी की इसरो ऑफिस में उपस्थिति। इसरो चीफ का भावुक होना और प्रधानमंत्री मोदी का उन्हे गले लगाकर उनकी पीठ सहलाना....किन्ही शब्दों की जरुरत नहीं थी वहाँ ढ़ांढ़स बँधाने.....वो मानवता की,सं

शिक्षक दिवस

आज टीचर्स डे है.....यानि कि शिक्षक दिवस। यूँ तो जिंदगी हमारी सबसे बड़ी शिक्षक है लेकिन मूल रुप से हम, आज का दिन हमे अक्षर ज्ञान सिखाने वाले गुरुओं को ही समर्पित करते है।       स्कूल में बिताया गया समय हमारे जीवन का एक सुनहरा समय होता है, न जाने कितनी खट्टी मिठ्ठी यादें जूड़ी है स्कूली जीवन और शिक्षकों के साथ। ये वो वक्त होता है जब आपके व्यक्तित्व को आकार मिल रहा होता है ।          मेरे पास ऐसे बहुत से किस्से है अपने शिक्षकों से जुड़े जो मेरे आज के व्यक्तित्व में एक महत्वपूर्ण भुमिका निभाते है ।मुझे याद है चौथी कक्षा में मैंने अपना पहला प्राइज जीता था स्पीच में और उस वक्त मेरे सर मुझसे ज्यादा खुश थे । उसके बाद जब उनकी अनुपस्थिति में  बिना उनकी मदद के मैंने इंदिरा गाँधी की मृत्यू पर खुद से लिख और याद करके एक स्पीच दी और प्रथम आई.....तो जब उन्हे पता लगा तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा । मैं शायद नौ या दस वर्ष की थी उस वक्त ....तब न गूगल बाबा थे और न ही इडियट बॉक्स पूरे दिन किसी को श्रद्धांजलि देता था...सिर्फ 20 मिनिट की न्यूज आती थी, उसी में उनके एक भाषण की झलकियाँ देखकर मैंने अपनी स्पीच तैया