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बहादूर बच्चे

कितना मुश्किल होता है
एक पराये शहर में
खूद को समेटना
अपनों को याद करना
और 
सब ठीक होने की उम्मीद करना
भविष्य का सोच चिंतित होना
घर आने के ख्वाब बुनना
मन को समझाना
राशन पानी की गिनती करना
अजनबी से बादलों को ताकना
माँ के भेजे सूरज से
खूद को गरम रखना
बरतन माँजना, खाना बनाना
और 
उस खाने को दो दिन तक खाना
सुबह शाम विडियो कॉलिंग करना
नाश्ते की प्लेट में
रात का खाना सजा कर दिखाना
सुनो मेरे बच्चों.....
तुम सब बहादुर हो
डरना मत, हौसले बनाये रखना
अपने सपनों को जवान बनाये रखना
यहाँ कुछ भी शाश्वत नहीं है
ये वक्त
ये दौर भी क्षणभंगुर है
बस, ये क्षण 
द्रोपदी के चीर सा खिंच गया है
पर यकीन मानो
इसका भी अंत होगा
जीवन की एक नयी परिभाषा के साथ
हम सब फिर से शुरुआत करेंगे
तब तक तुम डटे रहो 
गिरती अर्थव्यवस्था की चिंता भी मत करो
तुम्हारी माँओं की दुआएं
ऊँची से ऊँची अर्थव्यवस्था पर भारी है
तुम घर लौटोगे मुस्कुराते हुए
तब तक इंतजार हम सबकी नियती है
स्थिर रहकर ईश्वर पर 
विश्वास बनाये रखो

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उम्मीद

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