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बहादूर बच्चे

कितना मुश्किल होता है
एक पराये शहर में
खूद को समेटना
अपनों को याद करना
और 
सब ठीक होने की उम्मीद करना
भविष्य का सोच चिंतित होना
घर आने के ख्वाब बुनना
मन को समझाना
राशन पानी की गिनती करना
अजनबी से बादलों को ताकना
माँ के भेजे सूरज से
खूद को गरम रखना
बरतन माँजना, खाना बनाना
और 
उस खाने को दो दिन तक खाना
सुबह शाम विडियो कॉलिंग करना
नाश्ते की प्लेट में
रात का खाना सजा कर दिखाना
सुनो मेरे बच्चों.....
तुम सब बहादुर हो
डरना मत, हौसले बनाये रखना
अपने सपनों को जवान बनाये रखना
यहाँ कुछ भी शाश्वत नहीं है
ये वक्त
ये दौर भी क्षणभंगुर है
बस, ये क्षण 
द्रोपदी के चीर सा खिंच गया है
पर यकीन मानो
इसका भी अंत होगा
जीवन की एक नयी परिभाषा के साथ
हम सब फिर से शुरुआत करेंगे
तब तक तुम डटे रहो 
गिरती अर्थव्यवस्था की चिंता भी मत करो
तुम्हारी माँओं की दुआएं
ऊँची से ऊँची अर्थव्यवस्था पर भारी है
तुम घर लौटोगे मुस्कुराते हुए
तब तक इंतजार हम सबकी नियती है
स्थिर रहकर ईश्वर पर 
विश्वास बनाये रखो

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उम्मीद

लाख उजड़ा हो चमन एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा खो जायेगी जब सब राहे उम्मीद की किरण से सजा एक रास्ता तुम्हे तकेगा तुम्हे पता भी न होगा  अंधेरों के बीच  कब कैसे  एक नया चिराग रोशन होगा सूख जाये चाहे कितना मन का उपवन एक कोना हमेशा बसंत होगा 

मन का पौधा

मन एक छोटे से पौधें की तरह होता है वो उंमुक्तता से झुमता है बशर्ते कि उसे संयमित अनुपात में वो सब मिले जो जरुरी है  उसके विकास के लिये जड़े फैलाने से कही ज्यादा जरुरी है उसका हर पल खिलना, मुस्कुराना मेरे घर में ऐसा ही एक पौधा है जो बिल्कुल मन जैसा है मुट्ठी भर मिट्टी में भी खुद को सशक्त रखता है उसकी जड़े फैली नहीं है नाजुक होते हुए भी मजबूत है उसके आस पास खुशियों के दो चार अंकुरण और भी है ये मन का पौधा है इसके फैलाव  इसकी जड़ों से इसे मत आंको क्योकि मैंने देखा है बरगदों को धराशायी होते हुए  जड़ों से उखड़ते हुए 

साड़ी

आज इंटरनेशनल साड़ी डे है । एक वक्त था जब मैं हर रोज साड़ी पहनती थी, साड़ी पहनना आदतन था। अब भले ये आदत थोड़ी पीछे छूट गयी है पर साड़ी से मोह हर रोज बढ़ता जा रहा। साड़ी की मेरी समझ अब पहले से कही अधिक है।             जैसा कि सब कहते है कि साड़ी महज एक कपड़ा नहीं है वो इमोशन है , मैं इस बात से पूरा सरोकार रखती हूँ । साड़ी सच में आपके भाव है, आपकी अभिव्यक्ति है , आपके व्यक्तित्व का आइना है।    हम सबकी अपनी अपनी पसंद होती है और कुछ चुनिंदा रंगों की साड़िया स्वत: ही हमारी आलमारी में जगह बना लेती है।कुछ साड़ियों दिल के बेहद करीब होती है , कुछ में कहानियां बुनी होती है, कुछ के किस्से गहरे होते है, कुछ हथियायी हुई रहती है, कुछ उपहारों की पन्नी में लिपटी होती है, कुछ कई महीनों की प्लानिंग के बाद आलमारी में उपस्थित होती है तो कुछ दो मिनिट में दिल जीत लेती है ....मेरी हर साड़ी कुछ इन्ही बातों को बयां करती है लेकिन एक काॅमन बात है हर साड़ी में, कोई भी साड़ी कटू याद नहीं देती और यही बात साड़ी को खास बनाती है। आप अपनी आलमारी खोलकर देखिये , साड़ियां मीठी बातों से ही बुनी होती है।     साड़ियां माँ