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अक्तूबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

साथ

साथ.....दो अक्षरों का छोटा सा शब्द। गहन मायने है इसके। कभी कभी हम किसी के साथ, जीवन भर चलते हुए भी इस शब्द के मायने नहीं समझ सकते, तो कभी कभी कोई कोई बिना मिले , बिना देखे भी हमेशा साथ महसूस होता है....जैसे की ईश्वर ।                             कई लोग कहते है कि ऐसा कैसा साथ....न मिले, न देखा, न जाना...इवन कभी कभी तो बात भी नहीं होती फिर भी कोई अपना सा होता है। सोच कर देखिये....क्या आप कभी ईश्वर से मिले है, उसे देखा है, उसे स्पर्श किया है....फिर भी उसे साथ पाते है ना, अपना हर दुख उसके आगे झरते है, बिना किसी आवरण आप उसके सामने होते है, आप अपना क्रोध, गुस्सा सब ईश्वर के आगे रखते है, आप पारदर्शी हो जाते है उसके आगे ...क्यो ?  क्योकि आप हर वक्त उसका साथ महसूस करते है । आपको डर नहीं होता खूद को उसके समक्ष एज इट इज रखते हुए।       बस, ऐसे ही कुछ रिश्ते भी होते है , जिनको महसूस करने की क्षमता गहन होती है । ऐसे रिश्तों में आपके मन का हर कोना शतप्रतिशत वास्तविक होता है, कोई भी बात फिल्टर नहीं होती, कोई भी कण अछुता नहीं होता, कोई दुराव नहीं होता.....ऐसे रिश्ते ईश्वरतुल्य होते है, निडर होते है..

The Sky Is Pink

कुछ फिल्मे होती है जो मनोरंजक होती है, कुछ प्रेरित करती है, कुछ सोचने पर मजबूर करती है लेकिन कल जो फिल्म मैंने देखी, उसे देखते हुए कितनी ही बार और कितने ही दृश्यों में ऐसा लगा, जैसे पटल पर मैं ही हूँ और मैं खुद को ही जीते हुए देख रही हूँ। फिल्म है The sky is pink ....भावों जज्बातों से भरी एक सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म ।         इस फिल्म में अपनी बच्ची के जीवन के लिये , जिस तरह माता पिता सब कुछ दाँव पर लगा देते है वो अंतस तक छू जाता है। हालांकि हरेक माता पिता अपने बच्चों के लिये अपना सब दाँव पर लगा देते है लेकिन परिस्थिति विशेष में स्थिर और दृढ़ रहकर बच्चे को पुरे मनोबल और मनोयोग से पालना सहज सरल नहीं होता है, वो भी एक लंबे वक्त तक। इतना लंबा वक्त , कि शायद कभी कभी सब्र की भी पराकाष्ठा हो जाये। फिल्म के कितने ही दृश्य मुझे भावविभोर कर गये।          फिल्म में एक दृश्य है जब आईशा की रिपोर्ट्स उसके 16वे साल में बिल्कुल ठीक आती है और उसकी माँ खुशी से जैसे पागल हो जाती है....मुझे लगा जैसे मेरा वक्त मुझे दोहरा रहा हो....शगुन की रिपोर्ट्स भी उसके 16वें साल में पहली बार नॉरमल आई थी और मैं कि

हार ना मानूंगी

मैं हार ना मानूंगी जिंदगी के झौको संग चलूंगी थपेड़े आँधियों के सहूंगी, पर मैं हार ना मानूंगी गोधुली की धूल लेकर भोर की किरणों से नये सृजन करूँगी, पर मैं हार ना मानूंगी मुसीबतो को गले लगाकर झंझावतों में झूलकर तप तप कुंदन बनूंगी, पर मैं हार ना मानूंगी तुफानों से रुबरु होकर जीवन से सबक लेकर जंग हर एक लडूंगी, पर मैं हार ना मानूंगी राह के काँटे चुनकर फूल भले ना बिछा पाँऊ सुकून के पल सजाऊँगी,पर मैं हार ना मानूँगी करता है ईश्वर प्रेम मुझे बाल न बांका होने देना उसका प्रेम लेकर पार हर राह करुंगी, पर मैं हार ना मानूंगी