बच्चों के लिये कहानी लिखने का प्रथम प्रयास कल जब मैं सब्जी लेने मार्केट गयी तो भीड़ कुछ ज्यादा ही थी । बगल में ही मच्छी बाजार भी लगा था और उसकी स्मैल को सह पाना मेरे लिये दुभर था । मैने जल्दबाजी में सिर्फ टमाटर , आलु और भिंडी ली और घर आ गई। घर आकर सब्जी का थैला एक तरफ रखकर मैंने अपने लिये चाय बनाई । चाय पीकर मैने थैले से आलु निकाले और भिंडी को धोकर सुखने रख दिया। अब टमाटर धोने की बारी थी। मैने सब टमाटर निकाले तो देखा कि एक टमाटर सफेद था। मेरे आश्चर्य का ठीकाना न रहा, मैं सफेद टमाटर पहली बार देख रही थी। मैने हाथ में लेकर देखा। अरे ! ये तो अंडा था । मैं हैरान रह गयी की ये टमाटर के साथ कैसे आया और सब्जी मार्केट में तो अंडों की कोई दुकान थी भी नहीं। खैर.....ज्यादा न सोचते हुए मैंने अंडे को डस्टबिन में डाल दिया और खाना बनाने में व्यस्त हो गई। खाना खाकर जब मैं प्लेट्स् रखने सिंक में गई तो सन्न रह गई। अंडा डस्टबिन के बाहर पड़ा था जबकि मुझे अच्छे से याद था कि मैंने अपने हाथों से उसे डस्टबिन में डाला था । मैंने उसे फिर से उठाया और डस्टबिन में डालने ही वाली थी कि मैं थोड़ा ठिठकी.....मै
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है