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अक्तूबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भय

भय एक हल्की सी रेखा है  इस पार ओर उस पार के बीच की भय छुपा बैठा है खुशी के उस पारावार में जो सुचक है आने वाले तुफ़ान का भय एक पदचाप है धीमी सी जो....सुकून चुराकर आहिस्ते से अपनी जड़े फैलाता है बिल्कुल ऐसे जैसे आत्मीयता की भट्टी पर धीमी आँच में पकता प्रेम है ये भय प्रेम पर भी भारी है भय, स्क्रीन पर पॉपअप हुआ एक मैसेज है भय, डिलीट किये नम्बर से अचानक आया इनकमिंग कॉल है भय, आधीरात की फोनरिंग है भय, हर वक्त पीछा करती नजरों सा है भय, सूख चुकी आँखों की लाल धारीयों के जालों में फंसा सा है भय विश्वास को तार तार कर तोड़ता सा है भय हर चीज से बड़ा होता सा है भय....भय....भय क्या इस भय के पार जीत है ?

अवसाद

अवसाद.....जो मस्तिष्क की नहीं मन की बीमारी है, जो पागलपन नहीं मन की एक अवस्था है । जिसे दवाइयों से अधिक एक साथ की जरुरत होती है, हालांकि गंभीरता को देखते हुए दवाइयां अधिक कारगर होती है, लेकिन इसे हौव्वा बनाकर नहीं देखना चाहिए।       हम सब किसी न किसी वक्त मानसिक असंतुलन के दौर से निकले होते है और ऐसा भी नहीं है कि यह असफलता से निकल कर आता है .....ये बड़े गर्व से किसी की सफलता के साथ भी चुपके से प्रवेश कर जाता है और ऐसे में सोसायटी आश्चर्य करती है कि अरे इतने समझदार सफल व्यक्ति के जीवन में यह कैसे घटित हुआ.....बस, हमे जरुरत है इन आश्चर्यचकित बरौनियां चढ़े चेहरों को दरकिनार करने की । अवसाद, मन की एक अस्थायी अवस्था है जो हममे से किसी के भी जीवन में यकायक आ सकती है। हम कारण ढ़ूंढ़ने में लगे रहते है और निदान मुश्किल हो जाता है ।       कई बार यह दबी इच्छाओं का आकलन होता है तो कई बार एक भावुक मन का अपराधबोध..... यह किसी भी काम की अति हो सकता है....यह जीवन की एकरसता हो सकता है.......यह निहायत कंफर्ट जोन हो सकता है.....यह अत्यधिक खुशी भी हो सकता है......यह किसी पर निर्भरता हो सकता है ...यह आसक्ति ह

जीवन यात्रा

लगभग दस दिन अपने गाँव में गुजार कर अब हम फिर से चिकने चौड़े चमकते सड़क मार्ग से अपने शहर की ओर है।शानदार नेशनल हाईवे पर आवागमन पहले जैसा ही है, ट्रैफिक भी हमेशा की तरह ही है और हर तरह की छोटी बड़ी गाड़ी सड़क को चिपकती हुई सी कभी आगे स्पीड में निकल जाती है तो कभी किसी को आगे निकल जाने देती है। बड़े ट्रक भी इन सब के साथ ताल मिला रहे है। यहाँ जो धीरे चल रहा है वो साइड में होकर पीछे तेज गति से आ रहे वाहन को आगे निकलने देता है। कोई भी किसी का रास्ता रोकता नहीं है....सब अपनी अपनी गति में चले जा रहे है। देखा जाये तो यह कितनी सुंदर और संतुलित बात है और इसी वजह से आवागमन सुचारू रूप से चालु है।           सोच कर देखिये अगर यही बात जीवन में भी लागु हो जाये तो कितना अच्छा हो। जिसकी गति तेज हो , उसे हम आगे बढ़ने जगह दे दे । कोई हमसे आगे निकल जाये तो हमे हर्ट न हो। बिना ईगो बीच में लाये हम साइड में हो जाये। अगर हमारी स्पीड अधिक है तो हमे भी आगे बढ़ने से रोका न जाये । कोई किसी की राह में रुकावट न बने। सबकी स्पीड अनुसार उन्हे जगह और सम्मान मिले।  सबको यह क्लियर रहे कि हमेशा हम ही आगे या सबसे पहले नहीं रहने वाल