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अप्रैल, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

माँ

मैं पुकारती हूँ तुम्हे पर वो पुकारना शुन्य में विलिन हो जाता है जब भी दर्द में होती हूँ किसी को न दिखने वाले मेरे आँसू छलकना चाहते है तेरे आगोश में पर वो जज्ब नहीं हो पाते ते...

अपनी कहानी बयां करता एक शहर......हम्पी

मैं हम्पी हूँ......1336 में हरिहर राय और बुक्का राय नाम के दो भाईयों ने मेरी नीवं रखी थी। लेकिन मेरा इतिहास इससे भी कही पुराना है । पुरातन काल में मुझे किष्किंधा नाम से भी जाना जाता थ...