इस बार जब अपने खेत वाले घर में जाना हुआ तो दूर से ही घर के पिछवाड़े एक लाल पेड़ मुझे दिखा और बरबस ही मुझे चिनार याद आ गये । मैं नजदीक गयी तो पता लगा कि बसंत आने वाला है....ये पलाश के फूल थे जो पेड़ की शाखाओं पर झूंड में थे । जब मैंने छत पर जाकर देखा तो कई जगह ये पलाश के पेड़ दिखे । पहाड़ों में,जंगलों के बीच ये पेड़ इतने खूबसूरत लग रहे थे कि कल्पना भी नहीं की जा सकती । मैंने पलाश के पेड़ों को नजदीक से जाकर देखा, बड़े बड़े तीन पत्तों की जोड़ी वाला ये पेड़ अपनी पत्तियों को गिरा रहा था और जो पत्तियाँ पेड़ों पर थी वो भी सूखी सी, धूल मिट्टी से सनी । यहाँ पर सभी पेड़ ऐसे ही थे ....सब पर धूल जमी हुई थी । मेरे मन ने कहा कि एक बारीश होगी और ये सब नहाये धोये हो जायेंगे। प्रकृति सबका ख्याल रखती है अपने तरीके से । हाँ , तो हम वापस आते है पलाश पर.....इन धूल जमी आधी बची सी पत्तियों के बीच ये अलौकिक पुष्प इस तरह खिल रहे दे जैसे कोई दैवीय वृक्ष हो । पत्तों पर जितनी धूल थी वही इसकी मखमली पत्तियों पर कही कोई धूल नहीं बल्कि एकदम ताजगी भरा अहसास । एक ही वृक्ष पर दो विरोधाभास । मेरी उत्सुकता बढ़ गय