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मन सूरजमुखी

मन सूरजमुखी सा होता है जिधर कहीं स्नेह प्यार मोहब्बत  और अपनेपन की उष्मा मिलती है  विभोर होकर उस राह चल देता है बेख़बर बेख़्याल सा अनजान अपने आस पास के झंझावातों से मंत्रमुग्ध सा  चुंधियाई धूप का पीछा करता रहता है उसे नहीं पता होता कि कब  वो पूरब से पश्चिम को पहुंच गया  वो सिर्फ उस आँच की तरफ मोहित होता है जिसकी सोहबत से  उसके भीतर की सीलन छूमंतर हो जाती है लेकिन सुनो.......  अगर यह उष्मा तुम्हारी ओर से आ रही है तो जवाबदेही है तुम्हारी उस उष्मा की सच्चाई को बनाये रखने की क्योकि  उष्मा के खरेपन और खोट का मापतोल सूरजमुखी को नहीं आता  #आत्ममुग्धा