सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अक्तूबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दीपावली

आज लक्ष्मी पूजन है आपके घर में भी एक स्त्री है  जो प्रतीक है हर देवी का पिछले पंद्रह दिनों से आपके घर को झाड़पौछकर  रसोई में आपके पसंदीदा व्यंजन बनाकर वो भी कर रही है तैयारी  लक्ष्मी पूजन की  पगली....भुल जाती है  वो स्वयं लक्ष्मीस्वरुपा है वो परिवार को शिक्षित करती है साक्षात सरस्वती का रुप है वो लड़ जाती है अपनों के लिये अंधेर रातों को काजल में सजाती वो कालरात्रि है अपने आत्मसम्मान को  जी जान से बचाती वो दुर्गा का हर रुप है  खुशबू बिखेरने इसे परफ्यूम्स की जरुरत नहीं मसालों में महकती  ये आपके घर की अन्नपूर्णा है आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

भरोसा

एक मन कितनी बार भरोसा करेगा ? दूसरी बार... तीसरी बार.... चौथी बार....? पाँचवी बार में वो अभ्यस्त हो जाता है उसे हर बार दरकते भरोसे की  आहट पता लग जाती है वो अब भरोसे की कल्पनाओं से बाहर है मन के शब्दकोष में अब  ये शब्द गुमशुदा है वो असमंजस में है, पीड़ा में है प्रपंचों के जंजाल में खुद को एक सीध में रखते हुए अब वो अक्सर एक सवाल करता है कैसे होगा भरोसा ? क्योकि यहाँ एक दौड़ लगी है हर एक भागा जा रहा है  भरोसा हाथ में लिये जैसे दौड़ते थे हम बचपन में लेमन स्पून दौड़ में  निंबू गिर जाता था  हम खेल के बाहर हो जाते थे  लेकिन.... भरोसा गिरता है  और कोई खेल के बाहर नहीं होता इसलिए किसी को कोई डर नहीं झूठ सच कुछ भी करके  सब भरोसा बनाये हुए है और मन स्तब्ध है