आज लक्ष्मी पूजन है आपके घर में भी एक स्त्री है जो प्रतीक है हर देवी का पिछले पंद्रह दिनों से आपके घर को झाड़पौछकर रसोई में आपके पसंदीदा व्यंजन बनाकर वो भी कर रही है तैयारी लक्ष्मी पूजन की पगली....भुल जाती है वो स्वयं लक्ष्मीस्वरुपा है वो परिवार को शिक्षित करती है साक्षात सरस्वती का रुप है वो लड़ जाती है अपनों के लिये अंधेर रातों को काजल में सजाती वो कालरात्रि है अपने आत्मसम्मान को जी जान से बचाती वो दुर्गा का हर रुप है खुशबू बिखेरने इसे परफ्यूम्स की जरुरत नहीं मसालों में महकती ये आपके घर की अन्नपूर्णा है आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है