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नवंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हमारा दिन

कल पुरुष दिवस था....बिल्कुल चुपचाप शांती से गुजर गया। न कोई हंगामा , न कोई बिग डील, न पार्टी शार्टी, न दनदनाती पोस्ट और न ही डिस्काउंट की बौछारें ।          कभी गौर करके देखियेगा अपने आस पास के पुरुषों को ,वे आज भी व्यस्त ही होंगे और कल भी व्यस्त ही थे , खुशी से उठायी हुई जिम्मेदारियों को पूरी करने में। उन्हे तो पता भी नहीं रहता कि महिलाओं की तरह उनका भी दिन मनाया जाता है । भुले भटके अगर कोई उन्हे विश कर भी दे तो शायद भीतर ही भीतर लजा जायेगे वो भी एक स्त्री की तरह।            हर पुरुष में एक स्त्री अंश होता है और हर स्त्री में एक पुरुष अंश.....और ये दोनो एक दूसरे के साथ ही संपूर्ण होते है । दोनो ही ईश्वर की बेहतरीन कृति है । न कोई कम है न कोई ज्यादा... दोनो एक दूसरे के पूरक है। हमे बिल्कुल ऐसी ही व्यवस्था की जरुरत है....जहाँ सद्भाव हो समभाव हो, एक दूसरे के प्रति सम्मान हो। एक दूसरे से ऊपर जाने की जद्दोजहद में हम पूरी व्यवस्था ही बिगाड़ देंगे ।      महिला दिवस पर अपने ही मेल साथियों से उपहार प्राप्त करने वाली हम महिलाएं हर दिन को महिला दिवस मनाये जाने पर जोर देती है लेकिन तनिक ठहरिये और

विकल्प

विकल्प हमेशा ऐसा ही होता है जब चाहो  साथ रखो जब चाहो  नजरअंदाज करो प्रश्नपत्र में जब देखती थी ऐसा तो उस प्रश्न का औचित्य कभी समझ नहीं पायी जो सरल होता था उसका चयन कर लिया जाता था और दूसरे को  कठिन समझकर नजरअंदाज अब भी जब अपने आइपेड की डिजिटल की पैलेट में  रंगों के सैकड़ों विकल्प देखती हूँ मैं उलझ जाती हूँ उनमे और अधिक.... और बेहतर.... और खूबसूरत.... जबकि कागज पर  अपनी रंगों की छोटी सी पैलेट में भी सिर्फ तीन या चार रंगों के समायोजन से मै दुनिया रंग देती हूँ फिर अक्सर सोचती हूँ विकल्प ही ना हो तो ?  वो कहावत है न कम सामान सफ़र आसान बिल्कुल ऐसा ही है ज्यादा विकल्प ज्यादा उलझन  बस..... अब मैं विकल्पों को नहीं तलाशती क्योकि.... जो प्राप्त है वही पर्याप्त है 

दो सितारें

मेरे आसमां में दो सितारें रहते है जो , हर पल मुझ पर नजर रखते है जब खुश होती हूँ तो वो भी , कुछ अधिक चमकीले होकर टिमटिमाते है जब कुछ उदास होती हूँ तो अपनी छावं तले मुझे सहलाते है मेरे दर्द को मरहम का लेप लगाते है वो सितारें हर क्षण मेरे साथ रहते है मैं बेफ़िक्री को जीती हूँ वो हरदम मेरी परवाह में रहते है मेरा आसमान रोशन है इन दो तारों से अब चाँद न भी हो तो  कोई गम नहीं...... ये दोनो मेरे सूरज चाँद से कम नहीं  ये घनघोर अंधेरी राहो पर  झिलमिलाती उम्मीद का वो छोर है जो सदा मेरे साथ है ये छोर हमेशा जुड़ा रहेगा, जोड़ता रहेगा ये बुनता है विश्वास को  अटूट साथ को जो न होकर भी होने में है ये दोनो सितारे मेरी माँ है