दूसरा दिन रात को जल्दी सो जाने से सुबह जल्दी ही आँख खुल गयी, वैसे भी मैं जल्दी उठने वालो में से हूँ। 6 बज चुके थे, मैंने तुरंत उठकर खिड़की का पर्दा हटाया क्योकि रात को कुछ दिखाई ...
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है