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पहाड़ बुलाते है -2

दूसरा दिन रात को जल्दी सो जाने से सुबह जल्दी ही आँख खुल गयी, वैसे भी मैं जल्दी उठने वालो में से हूँ।  6 बज चुके थे, मैंने तुरंत उठकर खिड़की का पर्दा हटाया क्योकि रात को कुछ दिखाई ...

सुनहरी सुबह

रोज की तरह एक व्यस्त सी सुबह......... साढ़े दस के आस पास नीरजा दी का व्हॉट्सऐप कॉल आया। मैंने रिसीव किया तो उधर से उनकी और बच्चों की आवाजें आ रही थी, मुझे लगा शायद वो क्लासरुम में थी और...

पहाड़ बुलाते है

पहला दिन दिसम्बर तीन की अलसुबह...... हम दोनो घर से निकल गये एअरपोर्ट के लिये। छ: बजे की फ्लाइट थी और 8:50 पर हम देहरादून पहुँचने वाले थे।      मैं बड़ी खुश थी अपनी इस यायावरी को लेकर, क्...

मन का जंगल

कभी यात्रा की है किसी जंगल की ? नहीं? तो सुनो अपने मन में झांको एक गहन जंगल है वहाँ घुप्प अंधेरा.... कंटीली झाड़ियाँ हर रोज उगते कूकुरमुत्ते और सुनो ध्यान से बोलते सियार, रोते कूत्ते सन्नाटे को चीरते झींगूर हँसी नहीं तेज अट्टहास है वहाँ किसका?  नहीं जानते तुम क्योकि तुम पहचान नहीं पाते किसी एक आवाज को और शोर समझ नजरअंदाज कर देते हो तुम देख नहीं पाते सूखे दरख्तों को झड़ते पत्तों को क्योकि यहाँ घनघोर कोहरा छाया है तुम्हारे विचारों का छँट नहीं सकते तुम उससे ये बादल नहीं है जो उड़ जायेगे ये भारी है बहुत क्योकि इसमे धुंध है तुम्हारी ग्लानियों की,  गुस्से की गलत निर्णयों की,  अपनी छवि की दोहरी मानसिकता की, तनाव की सब पा जाने की लालसा की सब खो देने के डर की लेकिन सुनो एक दिया जलाओ, उजाले से भरा तब सब छँट सकता है जो बाहर दिखते हो वो अंदर भी दिखो और फिर सैर करो अपने मन के जंगल में अब यहाँ अद्भुत जंगली फूल खिलेंगे संगीता जाँगिड़

पुरुष दिवस

जानती हूँ मैं मुश्किल होता है पुरुष होना अपने कंधों पर हर भार ढ़ोना आँसूओं को अंदर ही अंदर सींचना नहीं मतलब किसी को तुम्हारे भावों से क्योकि भावुक तो स्त्रीयां मानी जाती ...

मित्रता दिवस

आज मित्रता दिवस है, दोस्ती का दिन!          क्या आपने कभी शिद्दत से दोस्ती को महसूस किया है, अक्सर लोग प्यार को तो शिद्दत से महसूस कर लेते है पर दोस्ती को नहीं कर पाते क्योकि सा...