तुम्हे पता है 'नीरज' कहते है कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करते है सच पुछो तो सपने भी कहा मरते है ये अलग बात है कि पूरे नहीं होते लेकिन उन्हे देखना हर बार सुखद होता है इन सपनों में एक पुरा जीवन होता है सिर्फ तुम्हारा जीवन तुम्हारा सपना जिसका कोई साक्षी नहीं कोई भागीदार नहीं नितांत अकेला एकछत्र एकांत में मुसकाता सा जो पुरा ना होकर भी टिमटिमाता है तुम्हारी आँखों में आजीवन सहेजा जाता है अंतस के अंतिम छोर में
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है