मुझे अंधेरों से डर नहीं लगता
मुझे सन्नाटों का भी खौफ़ नहीं
उष्णता मुझे तरबतर नहीं करती
आपदाओं से मैं घबराती नहीं
काल कोठरी सी एक छोटी जगह
जहाँ रोशनी की महीन किरण तक नहीं
मुझे पर्याप्त है
क्योकि
मैं उसे समझ लेती हूँ
माँ का गर्भगृह
जहाँ कुछ समय मुझे रहना है
जीवन पाकर बाहर आना है
ईश्वर अभी भी रच रहा है मुझे
उसकी रचना पर
सवाल नहीं
संदेह नहीं
सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंअदभुत सोच ,आज इस पल को हम माँ का गर्भगृह समझले तो कुछ पल बाद हमें नया जीवन निश्चित रूप से मिलेगा ,ये आप पर निर्भर हैं कि आप किसी समय विशेष को किस नजरिए से देखती हैं। लाज़बाब सृजन सखी ,सादर नमन
जवाब देंहटाएंइतने प्यार के लिये आभार सखी 😊
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-4-2020 ) को " इस बरस बैसाखी सूनी " (चर्चा अंक 3671) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
मेरी रचना को इस मंच पर स्थान देने के लिये शुक्रिया
हटाएंबहुत सुंदर भावुक रचना।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंबेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंआदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ हेतु नामित की गयी है। )
जवाब देंहटाएं'बुधवार' १५ अप्रैल २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post_15.html
https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
मेरी रचना और मेरा उत्साह बढ़ाने के लिये ह्रदयतल से आभार
हटाएंअद्भुत,निःशब्द....सादर प्रणाम 🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंअद्भुत सोच....जीवन के हर तमस को इसी सोच से जोड़ें तो आसान हो रौशनी का इन्तजार...
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब
वाह!!!
जीवन अपनी तर्ज पर चलता रहता है....हम तालमेल बैठा ले तो सही रहेगा
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