अक्सर होता है कि हम लोगो को मतलब अपने प्रिय लोगो को बांधकर रखना चाहते है .....हर वक्त उनका सामिप्य चाहते है क्योकि हम उनसे प्यार करते है। क्या यह सच में प्यार है ? हम उनकी हर बात मानते है। उनको खुश रखने की कोशिश करते है। उनकी गलत बातों को नजरअंदाज कर जाते है बिल्कुल उसी तरह जैसे एक माँ को अपने बच्चें की गलतियां कभी दिखती ही नहीं है । क्या यह है अनकंडीशनल लव ? आप किसी के आँसू नहीं देख सकते क्योकि आप उनसे प्यार करते है । आप उनके लिये हर वो काम करते है जो उनकी आँखों को नम होने से बचाये रखे । आप दुनियां के हर बदरंग से उन्हे बचाकर रखते है। उनकी हर तमन्ना आपकी अपनी इच्छा बन जाती है। प्रेम की क्या यही परिभाषा है ? अब एक बार खूद को विराम देकर ऊपर की बातें फिर से पढ़े....और स्वयं से सवाल करे.....यह प्यार है या मोह ? बंधन है या स्वतंत्रता ? निर्भरता है या उंमुक्तता ? हालांकि मुझे इतना ज्ञान नहीं है कि मैं इतने प्योर इमोशन या भाव की व्याख्या कर पाऊँ । बस...अपने अनुभवों से जाना है , सीखा है, समझा है। ऊपर लिखी सब चीजे मैंने अपनों के लिये की....उनकी आँखों की चमक, मु
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है