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उदास शाम

आज फूल कुछ उदास से है
पतझड़ नहीं है,
फिर भी पीले पत्ते मुझ पर गिर रहे है
फूल खुशबू बिखेर रहे है
पर अनमने से है
नहीं.... नहीं
फूल उदास नहीं है
ये तो उदास मन की व्यथा है
जो हर जगह उदासी को देखता है
लेकिन
जानता है मन
इन उदासियों में
सच में फूल खिलेंगे
बस, कुछ दिनों की बात है
तब तक उदास शामों को
रोशन रखते है 

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 17 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बस, कुछ दिनों की बात है
    तब तक उदास शामों को
    रोशन रखते है !!
    बहुत खूब👌👌आशा पर संसार जीवित है। सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं

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