कहते है ना कि 'उसकी' मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। इस बात से मैं पुरा सरोकार रखती हूँ । इस बार हमने स्पिति वैली की ट्रिप प्लान की थी, सब बहुत अच्छे से प्रीप्लान्ड था। जैसा कि हम अक्सर सोचते है कि सब कुछ हमारी प्लानिंग से होगा और प्लानिंग थोड़ा भी बिगड़ती है तो हम इरीटेट हो जाते है । भुल जाते है कि..... होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ जिस दिन अलसुबह हम निकलने वाले थे, प्लान तभी से प्रभावित होने लगा। पहले दिन ही हमारे घर की बिजली गुल हो गयी । दिन में हमने पैकिंग कर ली थी लेकिन कुछ इस भरोसे रह गयी कि लास्ट टाइम तक चलती रहेगी । मुम्बई इन दिनों प्रीमानसून के दौरान बहुत ह्युमिड रहती है, गरमी चिपचिपाहट अपने चरम पर होती है....उस दिन बिल्कुल ऐसा ही था और लाइट भी शाम तक न आयी। कम्पलेन के बाद बिजली विभाग के कर्मचारियों ने हमारे घर के पास वाले बड़े मीटर बॉक्स को चैक किया, सब ठीक किया। अब आस पास की दो बिल्डिंगों की लाइट आ गयी लेकिन हमारे घर की बत्ती अब भी गुल थी। काफी मशक्कत के बात पता ल...
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है