२२अप्रेल - रोज की तरह आज भी यह एक खुशनुमा ताजगी भरी सुबह थी ,नाश्ता करने के बाद हमे पीलिंग के लिये निकलना था और रास्ते में "रीवर राफ्टींग" के लिये रूकना था,रौनक इस बात को लेकर बहुत उत्साहित था । मैं बहुत जल्दी उठ चुकी थी और बेसब्री से ज्योतिष के चाय लाने का इंतजार कर रही थी । मन थोड़ा उदास भी था क्योकि मैं सूर्योदय देखने "टाईगर हिल" नहीं जा सकी थी । मेरी नजर शगुन पर पड़ी, जो गहरी नींद में सोयी थी । अब उसकी तबियत थोड़ी ठीक लग रही थी मतलब मेरा आगे का दिन अच्छा जाने वाला था इसलिये मैंने एक झटके में अपने मायूस मन को दूर भगा दिया ।कड़क चाय की प्याली ने गजब का असर किया और मैं आनन फानन तैयार हो गयी...... नाश्ते में थोड़ा समय था । हम होटल के बाहर चहल कदमी कर रहे थे कि ज्योतिष ने बताया कि होटल के पीछे जाइये , पूरा कंचनजंघा आपको नजर आयेगा । लगे हाथ हम वहाँ पहुंच गये । मैं स्तब्ध थी और मन ही मन अफसोस कर रही थी कि पिछले दो दिनों में मैंने ये खुबसूरती क्यों नहीं देखी । सात बजे का समय था, मौसम एकदम साफ था इसलिये कंचनजंघा की खुबसूरती पूरे शबा...
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है