मैंने बहुत अधिक किताबें नहीं पढ़ी
पर मैंने थोड़ी थोड़ी
बहुत सी किताबें पढ़ी है
मैं दोहराकर पढ़ती हूँ
आगे जाती हूँ
फिर पीछे आती हूँ
एक एक पंक्ति को कई कई बार पढ़ती हूँ
शब्दों पर अटकती बहुत हूँ
क्लिष्ट भाषा मुझे समझ नहीं आती
लेकिन फिर भी
मुझे हर किताब प्रिय है
मुझे अपनी पाठ्य पुस्तकों से भी प्यार था
किताबें आपकी दौलत होती है
जिन पर धूल जमती रहती है
आप झाड़ते रहते है
उन्हे महफूज रखते है
उस वक्त के लिये
जब आपके तन्हा लम्हें
लंबे हो जायेगे
तब ये किताबे मुस्कुरायेगी
सहेजा धन विकट समय बड़ा काम आता है
किताबों को सहेजिये
इन्हे धरोहर बनाईये
टिप्पणियाँ
विश्व पुस्तक दिवस की बधाई हो।