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नये साल को गले लगाये

आज साल का आखिरी दिन है गये दिसम्बर की तरह बीत रहा ये साल भी कुछ मलाल थे जो अब इन पलों में रहे नहीं  कुछ बाते अनकही सी समेट रही है खुद को यही कही देखो.....सुनो हंसी है एक खनकती हुई दूर तक सुनायी देती हुई खुली सी बांहें है  सफर करती हुई कोई आवाज नहीं है  पीछे से पुकारती हुई बस,कुछ खुशियां है  ओस की बूंदों सी ठहरी हुई आओ सहेज ले इन्हे शिकायतों की अब जगह नहीं उदासियों की कोई वजह नहीं रोशन हो आँखें सितारों सी चमके चेहरा चाँद सा होठों पर तराने आये अपनी अपनी धून गाये आओ, कुछ जुगनुओं को दोस्त बनाये नये साल को गले लगाये