आज फूल कुछ उदास से है
पतझड़ नहीं है,
फिर भी पीले पत्ते मुझ पर गिर रहे है
फूल खुशबू बिखेर रहे है
पर अनमने से है
नहीं.... नहीं
फूल उदास नहीं है
ये तो उदास मन की व्यथा है
जो हर जगह उदासी को देखता है
लेकिन
जानता है मन
इन उदासियों में
सच में फूल खिलेंगे
बस, कुछ दिनों की बात है
तब तक उदास शामों को
रोशन रखते है
हर रोज सुबह की सैर मुझे पूरे दिन के लिये शारीरिक मानसिक रूप से तरोताजा करती है। सैर के बाद हम एक भैयाजी के पास गाजर, बीट, हल्दी, आंवला ,अदरक और पोदीने का जूस पीते है, जिसकी मिक्सिंग हमारे अनुसार होती है। हम उनके सबसे पहले वाले ग्राहक होते है , कभी कभी हम इतना जल्दी पहूंच जाते है कि उन्होने सिर्फ अपना सब सामान सैट किया होता है लेकिन जूस तैयार करने में उन्हे पंद्रह मिनिट लग जाते है, जल्दबाजी में नही होती हूँ तो मैं जूस पीकर ही आती हूँ, वैसे आना भी चाहू तो वो आने नहीं देते , दो मिनिट में हो जायेगा कहकर, बहला फुसला कर पिलाकर ही भेजते है। उनकी अफरा तफरी और खुशी दोनो देखने लायक होती है। आज सुबह भी कुछ ऐसा ही था, हम जल्दी पहूंच गये और उन्होने जस्ट सब सैट ही किया था , मैं भी जल्दबाजी में थी क्योकि घर आकर शगुन का नाश्ता टीफिन दोनों बनाना था। हमने कहां कि आज तो लेट हो जायेगा आपको, हम कल आते है लेकिन भैयाजी कहाँ मानने वाले थे । उन्होने कहा कि नयी मशीन लाये है , आपको आज तो पीकर ही जाना होगा, अभी बनाकर देते है। मुझे सच में देर हो रही थी लेकिन फिर भी उनके आग्रह को मना न कर स...
टिप्पणियाँ
तब तक उदास शामों को
रोशन रखते है !!
बहुत खूब👌👌आशा पर संसार जीवित है। सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें।