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आकाशगंगा

मेरे मन की आकाशगंगा में
ऐसे हजारों तारें
टिमटिमाते है
जिनका पता किसी को नहीं
मैं पहचानती हूँ
एक एक तारें को
मुझे बस उन्ही का ज्ञान है
उन्ही की समझ है
बाकी बातों में मैं अज्ञानी हूँ
समझदारी की भी कमी है
पर परवाह नहीं
गूगल मुझे सब बता देता है
सब समझा देता है
उसकी सूचनाएं सटीक होती है
उसकी पहुँच दुनिया की 
सूक्ष्म से सूक्ष्मतम तरंग तक है
सिवाय उन तारों के
जो मेरे मन की आकाशगंगा में है 

टिप्पणियाँ

अनीता सैनी ने कहा…
बहुत सुंदर सृजन
सादर
Meena Bhardwaj ने कहा…
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
शुभा ने कहा…
वाह!बहुत खूब!
आत्ममुग्धा ने कहा…
आपका दिल से आभार
उम्दा प्रस्तुति !
सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें
भावपूर्ण रचना संसार आपका ...
बहुत सुन्दर सृजन। गूगल सूचनाएं पहुँच कर लें।
आत्ममुग्धा ने कहा…
आभार ध्यान दिलाने के लिये.....उ और ऊ में अंतर समझ नहीं पाती मैं...गलतियां सुधार ली है, एक बार फिर धन्यवाद

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