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तुम जीना

मेरे मन की रौनकें तुमसे है
पल में खिलती, पल में मूरझाती है
अडिग रखना विश्वास ईश्वर की तरह
न टूटना कभी न टूटने देना
ये आते जाते समय की मार है
जो निखारेगी तुम्हे, तपायेगी तुम्हे
इनसे पार जाना है...स्थिर रह डटे रहना
मेरी उर्जा से नहीं, 
खूद की उर्जा से जीना तुम
महसूस करोगे तो सामीप्य पाओगे
तुम अकेले नहीं हो,हम साथ है हमेशा
मेरा हाथ तुम्हारे हाथ में नहीं है
इन सबके बीच तुम्हे थमना नहीं है
एक लंबी दूरी तुम्हे तय करनी है
जीवन संभावनाओं का नाम है, बच्चे 
आस्थाओं और भावों के बहाव में 
तुम शिखर पर रहना
संवेदनाओं को मुखर रखना
असंवेदनशीलता मृत्यु समान है
विकट समय इसका परीक्षा काल है
उर्तीण होना तुम और जीना
मुस्कुरा कर जीना

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बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।

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उम्मीद

लाख उजड़ा हो चमन एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा खो जायेगी जब सब राहे उम्मीद की किरण से सजा एक रास्ता तुम्हे तकेगा तुम्हे पता भी न होगा  अंधेरों के बीच  कब कैसे  एक नया चिराग रोशन होगा सूख जाये चाहे कितना मन का उपवन एक कोना हमेशा बसंत होगा 

मन का पौधा

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साड़ी

आज इंटरनेशनल साड़ी डे है । एक वक्त था जब मैं हर रोज साड़ी पहनती थी, साड़ी पहनना आदतन था। अब भले ये आदत थोड़ी पीछे छूट गयी है पर साड़ी से मोह हर रोज बढ़ता जा रहा। साड़ी की मेरी समझ अब पहले से कही अधिक है।             जैसा कि सब कहते है कि साड़ी महज एक कपड़ा नहीं है वो इमोशन है , मैं इस बात से पूरा सरोकार रखती हूँ । साड़ी सच में आपके भाव है, आपकी अभिव्यक्ति है , आपके व्यक्तित्व का आइना है।    हम सबकी अपनी अपनी पसंद होती है और कुछ चुनिंदा रंगों की साड़िया स्वत: ही हमारी आलमारी में जगह बना लेती है।कुछ साड़ियों दिल के बेहद करीब होती है , कुछ में कहानियां बुनी होती है, कुछ के किस्से गहरे होते है, कुछ हथियायी हुई रहती है, कुछ उपहारों की पन्नी में लिपटी होती है, कुछ कई महीनों की प्लानिंग के बाद आलमारी में उपस्थित होती है तो कुछ दो मिनिट में दिल जीत लेती है ....मेरी हर साड़ी कुछ इन्ही बातों को बयां करती है लेकिन एक काॅमन बात है हर साड़ी में, कोई भी साड़ी कटू याद नहीं देती और यही बात साड़ी को खास बनाती है। आप अपनी आलमारी खोलकर देखिये , साड़ियां मीठी बातों से ही बुनी होती है।     साड़ियां माँ