देह के समीकरण से परे देखना कभी उसे
समूचा ब्रह्मांड समेट के रखती है
खिलखिलाते लबों के पीछे मुस्कुराती सी
जिंद़गानी सहेजे रखती है
देखना कभी नजरे मिलाकर, न जाने कितने
सैलाब समेटकर रखती है
ब्याह की चुनरी की नीचली सतह में, अपना
कुवांरापन छुपाकर रखती है
छूई हुई देह में, संभालकर आज भी
अनछूआ एक मन रखती है
नही बाँटती वो किसी के भी साथ
ये मन और वो अल्हड़ कुवांरापन
सच है कि वर्जिन नहीं होती है, पर
एक वर्जिन आत्मा रखती है
और उस वर्जिनिटी को
भंग करने की इजाजत
वो किसी को नहीं देती है
समझना कभी उसके इस भुगोल को भी
ये एक बड़ा सा पौधा था जो Airbnb के हमारे घर के कई और पौधों में से एक था। हालांकि हमे इन पौधों की देखभाल के लिये कोई हिदायत नहीं दी गयी थी लेकिन हम सबको पता था कि उन्हे देखभाल की जरुरत है । इसी के चलते मैंने सभी पौधों में थोड़ा थोड़ा पानी डाला क्योकि इनडोर प्लांटस् को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और एक बार डाला पानी पंद्रह दिन तक चल जाता है। मैं पौधों को पानी देकर बेफिक्र हो गयी। दूसरी तरफ यही बात घर के अन्य दो सदस्यों ने भी सोची और देखभाल के चलते सभी पौधों में अलग अलग समय पर पानी दे दिया। इनडोर प्लांटस् को तीन बार पानी मिल गया जो उनकी जरुरत से कही अधिक था लेकिन यह बात हमे तुरंत पता न लगी, हम तीन लोग तो खुश थे पौधों को पानी देकर। दो तीन दिन बाद हमने नोटिस किया कि बड़े वाले पौधे के सभी पत्ते नीचे की ओर लटक गये, हम सभी उदास हो गये और तब पता लगा कि हम तीन लोगों ने बिना एक दूसरे को बताये पौधों में पानी दे दिया। हमे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस सख्त हिदायत दी कि अब पानी बिल्कुल नहीं देना है। खिलखिलाते...
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