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सही गलत

कोई कह रहा युद्ध ही विकल्प
तो कोई शांति अख्तियार करने बोल रहा
कोई 370 की बात कर रहा
तो कोई सियासी रोटी सेंक रहा
न जाने क्यो भाव भी उठ रहे
हवा देखकर ??
नहीं पता..क्या सही,क्या गलत
लेकिन एक माँ की आँखों में
आक्रोश क्या गलत है ?
सही है रंग बिरंगी चूड़ियों का टूटना ?
सही है बच्चों का बिलखना ?
सही है किसी का जीवन भर इंतजार?
सही है जवानों का बेमौत मारा जाना ?
पता नहीं.....
बद से बदतर है हम
एक दुसरे के भावों को ही गलत ठहरा रहे
दुखी सब है.....पर उसमे भी गहराई तलाश रहे
मैं बस इतना जानती
सबसे गहरा दुख उसका
जिसने खोया अपना......
उसमे विकल्प मत तलाशो
उसके लिये तो सब गलत ही गलत है

टिप्पणियाँ

बिल्कुल सही लिखा है आपने। अपने अपने परिप्रेक्ष्य से किसी के दुख और देशहित को देखना, कोई जयचंद ही कर सकता है।
आत्ममुग्धा ने कहा…
जी शुक्रिया 🙏🏼

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उम्मीद

लाख उजड़ा हो चमन एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा खो जायेगी जब सब राहे उम्मीद की किरण से सजा एक रास्ता तुम्हे तकेगा तुम्हे पता भी न होगा  अंधेरों के बीच  कब कैसे  एक नया चिराग रोशन होगा सूख जाये चाहे कितना मन का उपवन एक कोना हमेशा बसंत होगा 

मन का पौधा

मन एक छोटे से पौधें की तरह होता है वो उंमुक्तता से झुमता है बशर्ते कि उसे संयमित अनुपात में वो सब मिले जो जरुरी है  उसके विकास के लिये जड़े फैलाने से कही ज्यादा जरुरी है उसका हर पल खिलना, मुस्कुराना मेरे घर में ऐसा ही एक पौधा है जो बिल्कुल मन जैसा है मुट्ठी भर मिट्टी में भी खुद को सशक्त रखता है उसकी जड़े फैली नहीं है नाजुक होते हुए भी मजबूत है उसके आस पास खुशियों के दो चार अंकुरण और भी है ये मन का पौधा है इसके फैलाव  इसकी जड़ों से इसे मत आंको क्योकि मैंने देखा है बरगदों को धराशायी होते हुए  जड़ों से उखड़ते हुए 

सीख जीवन की

ये एक बड़ा सा पौधा था जो Airbnb के हमारे घर के कई और पौधों में से एक था। हालांकि हमे इन पौधों की देखभाल के लिये कोई हिदायत नहीं दी गयी थी लेकिन हम सबको पता था कि उन्हे देखभाल की जरुरत है । इसी के चलते मैंने सभी पौधों में थोड़ा थोड़ा पानी डाला क्योकि इनडोर प्लांटस् को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और एक बार डाला पानी पंद्रह दिन तक चल जाता है। मैं पौधों को पानी देकर बेफिक्र हो गयी। दूसरी तरफ यही बात घर के अन्य दो सदस्यों ने भी सोची और देखभाल के चलते सभी पौधों में अलग अलग समय पर पानी दे दिया। इनडोर प्लांटस् को तीन बार पानी मिल गया जो उनकी जरुरत से कही अधिक था लेकिन यह बात हमे तुरंत पता न लगी, हम तीन लोग तो खुश थे पौधों को पानी देकर।      दो तीन दिन बाद हमने नोटिस किया कि बड़े वाले पौधे के सभी पत्ते नीचे की ओर लटक गये, हम सभी उदास हो गये और तब पता लगा कि हम तीन लोगों ने बिना एक दूसरे को बताये पौधों में पानी दे दिया।       हमे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस सख्त हिदायत दी कि अब पानी बिल्कुल नहीं देना है।      खिलखिलाते...