कोई कह रहा युद्ध ही विकल्प
तो कोई शांति अख्तियार करने बोल रहा
कोई 370 की बात कर रहा
तो कोई सियासी रोटी सेंक रहा
न जाने क्यो भाव भी उठ रहे
हवा देखकर ??
नहीं पता..क्या सही,क्या गलत
लेकिन एक माँ की आँखों में
आक्रोश क्या गलत है ?
सही है रंग बिरंगी चूड़ियों का टूटना ?
सही है बच्चों का बिलखना ?
सही है किसी का जीवन भर इंतजार?
सही है जवानों का बेमौत मारा जाना ?
पता नहीं.....
बद से बदतर है हम
एक दुसरे के भावों को ही गलत ठहरा रहे
दुखी सब है.....पर उसमे भी गहराई तलाश रहे
मैं बस इतना जानती
सबसे गहरा दुख उसका
जिसने खोया अपना......
उसमे विकल्प मत तलाशो
उसके लिये तो सब गलत ही गलत है
हर रोज सुबह की सैर मुझे पूरे दिन के लिये शारीरिक मानसिक रूप से तरोताजा करती है। सैर के बाद हम एक भैयाजी के पास गाजर, बीट, हल्दी, आंवला ,अदरक और पोदीने का जूस पीते है, जिसकी मिक्सिंग हमारे अनुसार होती है। हम उनके सबसे पहले वाले ग्राहक होते है , कभी कभी हम इतना जल्दी पहूंच जाते है कि उन्होने सिर्फ अपना सब सामान सैट किया होता है लेकिन जूस तैयार करने में उन्हे पंद्रह मिनिट लग जाते है, जल्दबाजी में नही होती हूँ तो मैं जूस पीकर ही आती हूँ, वैसे आना भी चाहू तो वो आने नहीं देते , दो मिनिट में हो जायेगा कहकर, बहला फुसला कर पिलाकर ही भेजते है। उनकी अफरा तफरी और खुशी दोनो देखने लायक होती है। आज सुबह भी कुछ ऐसा ही था, हम जल्दी पहूंच गये और उन्होने जस्ट सब सैट ही किया था , मैं भी जल्दबाजी में थी क्योकि घर आकर शगुन का नाश्ता टीफिन दोनों बनाना था। हमने कहां कि आज तो लेट हो जायेगा आपको, हम कल आते है लेकिन भैयाजी कहाँ मानने वाले थे । उन्होने कहा कि नयी मशीन लाये है , आपको आज तो पीकर ही जाना होगा, अभी बनाकर देते है। मुझे सच में देर हो रही थी लेकिन फिर भी उनके आग्रह को मना न कर स...
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