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फ्रीडा

बात लगभग साल भर पहले कि है....मेरा पावं टूटा था। यूँ तो मेरे साथ छोटी मोटी टूटफूट अक्सर होती रहती है लेकिन ये पहली बार था कि मेरे पावं में एक महीने के लिये प्लास्टर चढ़ा दिया गया और लगभग अपाहिज की तरह मुझे एक कोने में बैठा दिया गया। मैं पूरी तरह से किसी ओर पर निर्भर थी ....हर छोटे मोटे काम के लिये मुझे किसी की सहायता लगने लगी। आस पास सब बिखरा रहता और मैं उसे समेट पाने में असमर्थ रहती। शुरुआती एक हफ्ता मैं बहुत चिड़चिड़ी सी रही,लेकिन जल्दी ही मैं इस टूटे पावं को एंजॉय करने लगी । निर्भरता आत्मनिर्भरता का फर्क मेरे उन अपनों ने मिटा दिया जिन पर मैं निर्भर थी। 
     जब आपका भीतर कुछ टूटता है तो अक्सर बाहर तक भी दरारें दिखने लगती है लेकिन खुशकिस्मत रही कि अंदर भी दरार मात्र थी और बाहर सब व्यवस्थित। मुझे इतने बेहतर तरीके से संभाला गया कि मैं अपने टूटे पावं के साथ एक अलग ही दुनियां रचने लगी....अपने रंगों और चित्रों के माध्यम से। मेरे पास भरपूर वक्त था और मैंने उस वक्त को इतना संक्षिप्त कर दिया कि दिन के चौबीस घंटे कम लगने लगे। मेरी लगन और कार्यक्षमता ने उस दौरान मुझे मजबूत किया। किसी भी कांधों ने मुझे निराश नहीं किया।  
       मुझे इस तरह रमे हुए देखकर उस वक्त किसी ने कहा कि आपको देखकर मुझे फ्रीडा की याद आती है । ओह माय गुडनैस.......
     मैंने यह नाम पहली बार सुना था इसलिए खुशी से उछल नहीं पड़ी थी। मैंने फ्रीडा के बारे में सब पढ़ा जाना और आश्चर्यचकित रह गयी। हालांकि उस लड़की के साथ अपनी रत्ती भर तुलना भी मैं नहीं कर सकती । लेकिन मैं इस तुलना की वजह से उसे जान पायी...मेरे लिये मायने इसके ज्यादा है। फ्रीडा न जाने मुझ जैसे कितनों की प्रेरणा है। मेरे जैसे कितने ही अंश मिलकर एक फ्रिडा बनाते होंगे। फ्रिडा अपने आप में एक युग थी। मुसीबतों से डटकर लड़ने वाली , फूलों से प्यार करने वाली वो एक कमाल की लड़की थी। गहरी आँखों के उपर उसकी मिलती हुई भौहें उसे अलहदा बनाती थी। उसका पहनावा , उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति , उसका जुनून... सबकी मैं बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ।
     पिछले एक साल से ये लड़की लागातार मेरा मनोबल बढ़ा रही है । फ्रिडा तुम जहाँ भी हो आबाद हो। 

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