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रिक्त हाथ

मै रिक्त हाथ हूँ
अपने खेत खलिहान छोड़
कुछ अधिक की लालसा पाल
मै छोड़ आया था
अपने गाँव की पगडंडी
रम गया था
 इस चिकनी सड़क की चमक में
सबसे ऊँची मंजिल पर 
स्लेब डालते हुए
आसमाँ से बातें करने लगा था
प्लास्टर करते हुए
चिकने मार्बल पर हाथ सहला लेता था
चमकती दुनिया की चकाचौंध में 
मेरी भी तरक्की के आसार थे
मेरे भी बच्चों के ख्वाब़ थे
गाँव के आँगन वाले मकान ने भी
एक और मंजिल का सपना पाल लिया था
अपने कांधों पर सभी सपनों का बोझ
मैंने रख लिया था
लेकिन अब
सिर्फ एक राह है उन सपनों की
जो मेरे गाँव की पगडण्डी की ओर है
मैं नहीं जानता
मैं इस सड़क की ओर कभी लौटूंगा भी
 कि नहीं
मैं नहीं जानता कि
मेरा भी दिन मनाया जाता है
हाँ, मैं मजदूर हूँ
आज के दिन मुझे मनाया जाता है
लेकिन आज मैं रिक्त हाथ हूँ
आँखों में सपनें नहीं है
अपनी छूट चुकी पगडंडी की तलाश है

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