सुना है
तनाव शरीर में गांठें बना देता है
तो क्यो न कुछ विपरीत किया जाये
चलो खुश रहा जाये
और
तन मन की गांठों को पिघलाया जाये
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है
Sahi..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंजी बिलकुल ... तनाव मुक्त जीवन कई गांठें जीवन की सुलझा जाता है ...
जवाब देंहटाएंजी....तनाव जड़ है उलझाव की....शुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएं