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चुनौतियां

मैं सुनती हूँ
अपने अंदर 
बेचैन कर देने वाली चुनौतियां
जो जीवन की उत्कृष्ट राह की ओर
धकेलती है मुझे
परिचय कराती है
अपने ही एक भिन्न अक्स से
ये चुनौतियां 
मेरी नींदे उड़ा देती है
लेकिन
मुझे पसंद है इनसे जूझना
मै खेलती हूँ 
इनके साथ सीसो वाला गेम
कभी चुनौतियां मुझ पर भारी
तो कभी मैं उन पर भारी
कभी कभी हम दोनो
संतुलन भी बना लेते है
पर मैं
शुक्रगुज़ार हूँ इनकी
इनके बिना मैं 'मैं' नहीं
देखा जाये तो
बिना चुनौती
जीवन भी तो कुछ नहीं 

टिप्पणियाँ

Sudha Devrani ने कहा…
चुनौतियों से ही तो अस्तित्व निखरता है
वाह!!!
बहुत सुन्दर...
अनीता सैनी ने कहा…
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
सादर

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