दो एक दिन पहले "ऋचा विथ जिंदगी" का एक ऐपिसोड देखा , जिसमे वो पंकज त्रिपाठी से मुख़ातिब है । मुझे ऋचा अपनी सौम्यता के लिये हमेशा से पसंद रही है , इसी वजह से उनका ये कार्यक्रम देखती हूँ और हर बार पहले से अधिक उनकी प्रशंसक हो जाती हूँ। इसके अलावा सोने पर सुहागा ये होता है कि जिस किसी भी व्यक्तित्व को वे इस कार्यक्रम में लेकर आती है , वो इतने बेहतरीन होते है कि मैं अवाक् रह जाती हूँ। ऋचा, आपके हर ऐपिसोड से मैं कुछ न कुछ जरुर सिखती हूँ। अब आते है अभिनेता पंकज त्रिपाठी पर, जिनके बारे में मैं बस इतना ही जानती थी कि वो एक मंजे हुए कलाकार है और गाँव की पृष्ठभूमि से है। ऋचा की ही तरह मैंने भी उनकी अधिक फिल्मे नहीं देखी। लेकिन इस ऐपिसोड के संवाद को जब सुना तो मजा आ गया। जीवन को सरलतम रुप में देखने और जीने वाले पंकज त्रिपाठी इतनी सहजता से कह देते है कि जीवन में इंस्टेंट कुछ नहीं मिलता , धैर्य रखे और चलते रहे ...इस बात को खत्म करते है वो इन दो लाइनों के साथ, जो मुझे लाजवाब कर गयी..... कम आँच पर पकाईये, लंबे समय तक, जीवन हो या भोजन ❤️ इसी एपिसोड में वो आगे कहते है कि मेरा अपमान कर
जज्बातों से लबालब है आपकी रचना।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 02 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसबसे पहले न आ पाने के लिये माफी.....मेरी रचना को स्थान देने के लिये शुक्रिया आपका
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जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप सभी को पावन दिवाली की शुभकामनाएं.....
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
03/11/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
माफी सहित शुक्रिया
हटाएंबरगद को आधार मानकर कहीं गहरे तक ले गई आपकी कविता हर पंक्तियां एक स्त्री के अंदर कशमकश भरे उठते सवालों को प्रदर्शित कर रहे हैं बहुत अच्छा लिखा आपने
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंवो स्त्री हो या मां हो या धरती हो
जवाब देंहटाएंकुछ भी समझो मगर इस बरगद के साथ आपने इसकी जड़ें मेरी नम जमीं तक पहुंचा दी है।
बहुत खूब
जज्बातों को समझने के लिये शुक्रिया
हटाएंउस हथेली के प्रेम और सानिध्य को छोड़कर कोई कहींं और क्यों जाय...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
बिल्कुल सही
हटाएंआभार आपका....न आ पाने के लिये माफी
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