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यादें

जिंदगी के चंद लम्हों का लेखा-जोखा है यादें 
तमाम खट्टे-मीठे संस्मरणों का एक चलचित्र है यादें 
यादें एक फूल है 
जिसकी खुशबू जीवन को महकाती है 
यादें एक मरहम है 
जो उभरे जख्मों को सहलाती है 
जीवन के सुख-दुःख का मिश्रण है यादें 
तन्हाई में किसी अपने का अहसास है यादें 
लेकिन कभी-कभी ;
अपनों के बीच से तन्हाई में ले जाती है यादें 
यादें एक टीस है 
जो जले पर नमक छिड़कती है 
यादें एक इतिहास है 
जो हर पल स्वयं को दोहराती है 
किसी अधूरे काम का आगाज़ है यादें 
आसुंओ को खिलखिलाहट में बदलती है यादें 
यादें एक कलम है 
जिससे जिंदगी परिभाषित होती है 
यादें अनुभवों की एक किताब है 
जिसके जरिये मंजिल हासिल होती है 
किसी अज़ीज़ का अहसास कराती है यादें 
सच्चे दोस्त की भांति साथ निभाती है यादें 
लेकिन कभी-कभी ;
कडवे अनुभवों के घूंट भी पिलाती है यादें 
यादें एक गीत है 
जो जीवन को मधुर बनाती है 
यादें एक बैशाखी है 
जो गिर-गिर के संभलना सिखाती है 
बचपन के मासूम संसार में ले जाती है यादें 
भूले-बिसूरे दिनों का स्मरण कराती है यादें 
लेकिन कभी-कभी ;
अपनों से दूर होने का गम भी दे जाती है यादें.......................

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उम्मीद

लाख उजड़ा हो चमन एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा खो जायेगी जब सब राहे उम्मीद की किरण से सजा एक रास्ता तुम्हे तकेगा तुम्हे पता भी न होगा  अंधेरों के बीच  कब कैसे  एक नया चिराग रोशन होगा सूख जाये चाहे कितना मन का उपवन एक कोना हमेशा बसंत होगा 

पलाश

एक पेड़  जब रुबरू होता है पतझड़ से  तो झर देता है अपनी सारी पत्तियों को अपने यौवन को अपनी ऊर्जा को  लेकिन उम्मीद की एक किरण भीतर रखता है  और इसी उम्मीद पर एक नया यौवन नये श्रृंगार.... बल्कि अद्भुत श्रृंगार के साथ पदार्पण करता है ऊर्जा की एक धधकती लौ फूटती है  और तब आगमन होता है शोख चटख रंग के फूल पलाश का  पेड़ अब भी पत्तियों को झर रहा है जितनी पत्तीयां झरती जाती है उतने ही फूल खिलते जाते है  एक दिन ये पेड़  लाल फूलों से लदाफदा होता है  तब हम सब जानते है कि  ये फाग के दिन है बसंत के दिन है  ये फूल उत्सव के प्रतीक है ये सिखाता है उदासी के दिन सदा न रहेंगे  एक धधकती ज्वाला ऊर्जा की आयेगी  उदासी को उत्सव में बदल देखी बस....उम्मीद की लौ कायम रखना 

जिंदगी विथ ऋचा

दो एक दिन पहले "ऋचा विथ जिंदगी" का एक ऐपिसोड देखा , जिसमे वो पंकज त्रिपाठी से मुख़ातिब है । मुझे ऋचा अपनी सौम्यता के लिये हमेशा से पसंद रही है , इसी वजह से उनका ये कार्यक्रम देखती हूँ और हर बार पहले से अधिक उनकी प्रशंसक हो जाती हूँ। इसके अलावा सोने पर सुहागा ये होता है कि जिस किसी भी व्यक्तित्व को वे इस कार्यक्रम में लेकर आती है , वो इतने बेहतरीन होते है कि मैं अवाक् रह जाती हूँ।      ऋचा, आपके हर ऐपिसोड से मैं कुछ न कुछ जरुर सिखती हूँ।      अब आते है अभिनेता पंकज त्रिपाठी पर, जिनके बारे में मैं बस इतना ही जानती थी कि वो एक मंजे हुए कलाकार है और गाँव की पृष्ठभूमि से है। ऋचा की ही तरह मैंने भी उनकी अधिक फिल्मे नहीं देखी। लेकिन इस ऐपिसोड के संवाद को जब सुना तो मजा आ गया। जीवन को सरलतम रुप में देखने और जीने वाले पंकज त्रिपाठी इतनी सहजता से कह देते है कि जीवन में इंस्टेंट कुछ नहीं मिलता , धैर्य रखे और चलते रहे ...इस बात को खत्म करते है वो इन दो लाइनों के साथ, जो मुझे लाजवाब कर गयी..... कम आँच पर पकाईये, लंबे समय तक, जीवन हो या भोजन ❤️ इसी एपिसोड में वो आगे कहते है कि मेरा अपमान कर