हम इतने भी बुरे ना थे
जितना लोगो ने हमे बना दिया
हम तो चाहते थे दूनियाँ को प्यार से जीतना ,
नहीं मालूम था कि .
खुद को ही हार जायेगे !
आये थे हम तो प्यार बाँटने
लेकिन खुद ही बँट कर रह गए
सोचा था बुराई को अच्छाई बना देगे
नहीं मालूम था कि ;
खुद ही बुरे बन जायेगे !
चाहते थे लोगो के दिलों को रोशन करना
लेकिन खुद ही अंधेरो में खोकर रह गए
तकलीफ में हर किसी को दिया सहारा
लेकिन अपने ग़मों में ,
सर टिकाने हमे किसी का कंधा ना मिला
दूसरो के पोंछते थे आंसू हम
लेकिन हमारे ही समंदर को कोई किनारा ना मिला !
लोगो को दिया करते थे दिलासे हम
लेकिन ;
हमारे ही सब्र का बाँध हमी से टूट गया
सबकी खुशियाँ बांटी , दुखो: में शरीक हुए
लेकिन हमारी खुशियाँ किसी से देखी ना गई
और ;
हमारे दर्द-ए-दुःख में लोगो ने हम से किनारा कर लिया !
सबकी महफ़िलों की शमां बने हम
लेकिन;
हमारी ही महफ़िल किसी को रास ना आई
जितना लोगो ने हमे बना दिया
हम तो चाहते थे दूनियाँ को प्यार से जीतना ,
नहीं मालूम था कि .
खुद को ही हार जायेगे !
आये थे हम तो प्यार बाँटने
लेकिन खुद ही बँट कर रह गए
सोचा था बुराई को अच्छाई बना देगे
नहीं मालूम था कि ;
खुद ही बुरे बन जायेगे !
चाहते थे लोगो के दिलों को रोशन करना
लेकिन खुद ही अंधेरो में खोकर रह गए
तकलीफ में हर किसी को दिया सहारा
लेकिन अपने ग़मों में ,
सर टिकाने हमे किसी का कंधा ना मिला
दूसरो के पोंछते थे आंसू हम
लेकिन हमारे ही समंदर को कोई किनारा ना मिला !
लोगो को दिया करते थे दिलासे हम
लेकिन ;
हमारे ही सब्र का बाँध हमी से टूट गया
सबकी खुशियाँ बांटी , दुखो: में शरीक हुए
लेकिन हमारी खुशियाँ किसी से देखी ना गई
और ;
हमारे दर्द-ए-दुःख में लोगो ने हम से किनारा कर लिया !
सबकी महफ़िलों की शमां बने हम
लेकिन;
हमारी ही महफ़िल किसी को रास ना आई
टिप्पणियाँ