सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मन का पौधा

मन एक छोटे से पौधें की तरह होता है
वो उंमुक्तता से झुमता है
बशर्ते कि
उसे संयमित अनुपात में
वो सब मिले
जो जरुरी है 
उसके विकास के लिये
जड़े फैलाने से कही ज्यादा जरुरी है
उसका हर पल खिलना, मुस्कुराना
मेरे घर में ऐसा ही एक पौधा है
जो बिल्कुल मन जैसा है
मुट्ठी भर मिट्टी में भी
खुद को सशक्त रखता है
उसकी जड़े फैली नहीं है
नाजुक होते हुए भी मजबूत है
उसके आस पास खुशियों के
दो चार अंकुरण और भी है
ये मन का पौधा है
इसके फैलाव 
इसकी जड़ों से इसे मत आंको
क्योकि मैंने देखा है
बरगदों को धराशायी होते हुए 
जड़ों से उखड़ते हुए 

टिप्पणियाँ

yashoda Agrawal ने कहा…
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 18 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सच कहा, सब समुचित मिले तो व्यक्तित्व का विकास होता है।
Kamini Sinha ने कहा…
सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-9-21) को "खेतों में झुकी हैं डालियाँ" (चर्चा अंक-4192) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा


Manisha Goswami ने कहा…
बहुत सुन्दर सृजन!
बेनामी ने कहा…
What is the difference between Baccarat? | Wolverione
A two-part betting contest that involves betting against a 카지노사이트 particular player, usually called 1xbet korean the house edge, is a form of betting on which the worrione person who

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उम्मीद

लाख उजड़ा हो चमन एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा खो जायेगी जब सब राहे उम्मीद की किरण से सजा एक रास्ता तुम्हे तकेगा तुम्हे पता भी न होगा  अंधेरों के बीच  कब कैसे  एक नया चिराग रोशन होगा सूख जाये चाहे कितना मन का उपवन एक कोना हमेशा बसंत होगा 

साड़ी

आज इंटरनेशनल साड़ी डे है । एक वक्त था जब मैं हर रोज साड़ी पहनती थी, साड़ी पहनना आदतन था। अब भले ये आदत थोड़ी पीछे छूट गयी है पर साड़ी से मोह हर रोज बढ़ता जा रहा। साड़ी की मेरी समझ अब पहले से कही अधिक है।             जैसा कि सब कहते है कि साड़ी महज एक कपड़ा नहीं है वो इमोशन है , मैं इस बात से पूरा सरोकार रखती हूँ । साड़ी सच में आपके भाव है, आपकी अभिव्यक्ति है , आपके व्यक्तित्व का आइना है।    हम सबकी अपनी अपनी पसंद होती है और कुछ चुनिंदा रंगों की साड़िया स्वत: ही हमारी आलमारी में जगह बना लेती है।कुछ साड़ियों दिल के बेहद करीब होती है , कुछ में कहानियां बुनी होती है, कुछ के किस्से गहरे होते है, कुछ हथियायी हुई रहती है, कुछ उपहारों की पन्नी में लिपटी होती है, कुछ कई महीनों की प्लानिंग के बाद आलमारी में उपस्थित होती है तो कुछ दो मिनिट में दिल जीत लेती है ....मेरी हर साड़ी कुछ इन्ही बातों को बयां करती है लेकिन एक काॅमन बात है हर साड़ी में, कोई भी साड़ी कटू याद नहीं देती और यही बात साड़ी को खास बनाती है। आप अपनी आलमारी खोलकर देखिये , साड़ियां मीठी बातों से ही बुनी होती है।     साड़ियां माँ