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दिल वर्सेस दिमाग

उस रात वो बहुत रोयी थी
कोई ठोस कारण नहीं था रोने का
पर कभी कभी 
होता है ना
मन अचानक से भर आता है
आँखे जैसे बगावत कर जाती है
आपके सेंस ऑरगन 
आपकी मर्जी के बिना 
स्वतः ही संचालित होने लगते है
आप आँखों को झरने से रोकते है
बार बार अन्तर्मन में गुंजती एक आवाज
आपके न चाहने के बावजूद
आपके कानों में घुलती रहती है
आपकी उपरी परत 
एक अपनत्व से पुलकित होती रहती है
एक खुशबु आपकी पैरहन को
ताउम्र महकाती रहती है
हर वो चीज होती रहती है
जो आप नहीं चाहते
आपका मस्तिष्क भी नहीं चाहता 
क्या सच में दिल, दिमाग पर भारी होता है ?

टिप्पणियाँ

मन की मनमानी..
सुन्दर पंक्तियाँ।

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उम्मीद

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आज इंटरनेशनल साड़ी डे है । एक वक्त था जब मैं हर रोज साड़ी पहनती थी, साड़ी पहनना आदतन था। अब भले ये आदत थोड़ी पीछे छूट गयी है पर साड़ी से मोह हर रोज बढ़ता जा रहा। साड़ी की मेरी समझ अब पहले से कही अधिक है।             जैसा कि सब कहते है कि साड़ी महज एक कपड़ा नहीं है वो इमोशन है , मैं इस बात से पूरा सरोकार रखती हूँ । साड़ी सच में आपके भाव है, आपकी अभिव्यक्ति है , आपके व्यक्तित्व का आइना है।    हम सबकी अपनी अपनी पसंद होती है और कुछ चुनिंदा रंगों की साड़िया स्वत: ही हमारी आलमारी में जगह बना लेती है।कुछ साड़ियों दिल के बेहद करीब होती है , कुछ में कहानियां बुनी होती है, कुछ के किस्से गहरे होते है, कुछ हथियायी हुई रहती है, कुछ उपहारों की पन्नी में लिपटी होती है, कुछ कई महीनों की प्लानिंग के बाद आलमारी में उपस्थित होती है तो कुछ दो मिनिट में दिल जीत लेती है ....मेरी हर साड़ी कुछ इन्ही बातों को बयां करती है लेकिन एक काॅमन बात है हर साड़ी में, कोई भी साड़ी कटू याद नहीं देती और यही बात साड़ी को खास बनाती है। आप अपनी आलमारी खोलकर देखिये , साड़ियां मीठी बातों से ही बुनी होती है।     साड़ियां माँ