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चक्रव्यूह

जिससे आप प्यार करते हो
उसे कभी बददुआ नहीं दे सकते
बाहर से कड़वा बोल सकते है
पर अंदर की ओर
एक मीठा लबालब झरना होता है
आप उनकी गलतियों को
बर्दाश्त नहीं कर सकते
आप टोकते है उन्हे
उनकी हर गलती पर
दिशाहीन राहों पर बढ़ने नहीं दे सकते
नहीं देख सकते उन्हे
परेशानियों से जुझते हुए
आप आगाह करते है उन्हे
भावी चक्रव्यूहों के बारे में
लेकिन फिर भी
अक्सर
होनी को होना रहता है
स्नेह प्यार को हारना होता है
आप स्तब्ध रह जाते है
और 
एक चक्रव्यूह सब निगल जाता है
जिसमे आप स्वयं भी होते है

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एक चक्रव्यूह सब निगल जाता है
जिसमे आप स्वयं भी होते है

गहरी बात

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