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कोरोना वायरस

कोरोना.....
एक सूक्ष्म वायरस
इतना सूक्ष्म कि देखा भी न जा सके
लेकिन
इस सूक्ष्मता का खौफ बड़ा
आज से पहले
जिसे देखा नहीं, सुना नहीं, जाना नहीं
उसका भय बड़ा
भयभीत है पूरी दुनिया
कोरोना से कांप रहा कोना कोना
चुपके से आकर ये
जीवन को आयाम दे रहा
मन की चंचलता को 
विराम दे रहा
एकाकीपन को एकांत बना रहा
आइसोलेशन के बहाने 
ठहराव ला रहा
खूद को खूद तक सीमित रखे
कोरोना ये बता रहा
हाथ जोड़ अभिवादन करे
बेवजह क्यू किसी को स्पर्श करे
सांसों पर ध्यान दे
बाधित है कुछ सांसें 
तो एकांत में बैठ कुछ मनन करे
गहरे निश्वास के साथ
हर व्याधि दूर करे
अकेलापन आनंद है
कोरोनो यही समझा रहा
बस, इसे जीना सीखे
कोरोना की माने तो
मनोरंजन बहुत हुआ
दौड़ती भागती इस दुनिया में...
तेरा भागना बहुत हुआ
तनिक विश्राम ले, ठहर रे बंदे
स्थिर मन से, थोड़ा सुस्ता अपने ही घर में
कभी ऑफिस, कभी होटल, 
कभी पार्टी , कभी मीटिंग 
इस कभी कभी में कभी मिला तू खूद से ? 
कहता कोरोना....देख रे इंसान
देख अपने ही घर की दीवारे
बाहें फैलाये ये तुझे बुलाये
याद रख
एक ईकाई है तू
एकाकी है तू
अकेला है तू
तू ही तेरा साथ निभाये
बस ये मंत्र तू जान ले
मैं चला जाऊँगा
इतना ही बतलाने मैं आया
मेरा खौफ नहीं बड़ा
तेरा जीवन सबसे बड़ा
तू इसे पहचान
संयम से इसे जान
इसी जीने में जीना है
वरना तो सब कुछ खोना है 

टिप्पणियाँ

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की शनिवार(१४-०३-२०२०) को "परिवर्तन "(चर्चा अंक -३६४०) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
Kamini Sinha ने कहा…
कोरोना की माने तो
मनोरंजन बहुत हुआ
दौड़ती भागती इस दुनिया में...
तेरा भागना बहुत हुआ
तनिक विश्राम ले, ठहर रे बंदे
स्थिर मन से, थोड़ा सुस्ता अपने ही घर में

बहुत गहरा मंथन ,लाज़बाब सृजन ,सादर
आत्ममुग्धा ने कहा…
आभार आपका यहाँ आकर मेरा उत्साह बढ़ाने के लिये

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