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अर्द्धशतक

50 पूरे हो गये तुम्हारे
जीवन का एक सुनहरा हिस्सा
अर्द्ध शतक के रुप में तुम्हारे साथ है
तुम्हारे साथ है तुम्हारी कामयाबियां
जो भले ही बहुत ऊँची न हो
बेहद शानदार न हो
लेकिन मुझे सातवें आसमां पर 
बैठाने के लिये वो पर्याप्त है 
वो पर्याप्त है 
तुम्हारे आगे के जीवन के लिये
ताकि जब भी पीछे मुड़कर देखो
तो गर्व कर सको खुद पर
तुम्हारे साथ के मेरे झगड़े
तुम्हारा क्षणभंगुर गुस्सा 
बहुत तुच्छ है....
उस अपार स्नेह और प्यार के आगे
जो मैंने तुमसे पाया है
तुम्हारे मन की सह्रदयता, सरलता
मुझे हमेशा तुम पर गर्व महसूस कराती है
बच्चों जैसी निश्छलता
और तो और
जन्मदिन मनाने का बच्चों सा उत्साह
तुम्हारे बच्चों को भी तुम पर मोहित कर देता है
हम सब चाहते है
तुम हमेशा ऐसे ही रहना
तुम मेरे कल्पवृक्ष हो
जिसकी छाया में
मैं पल्लवित होती हूँ
तुम बरगद हो मेरे
और मैं .....
उस बरगद की शाख से झूलती लता सी
मेरे हिस्से तुम्हारे सारे किस्से
अपनी रोशनी तुम मुझे देते हो
दमकती मैं हूँ....
तालियां मुझे मिलती है 
तुम दूर से मुस्कुराते हो
चुपचाप मुझे निहारते हो
मैं नहीं जानती
सात जन्मों का बंधन क्या है
लेकिन ये जन्म सार्थक है तुम्हारे होने से
जन्मदिन मुबारक 

टिप्पणियाँ

बहुत सुन्दर।
जिनके लिए आपने यह रचना लिखी है
उनको हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12.03.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3638 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की गरिमा बढ़ाएगी

धन्यवाद

दिलबागसिंह विर्क
आत्ममुग्धा ने कहा…
बेहद शुक्रिया मेरी तरफ से भी और जिनके लिये लिखी गयी है, उनकी तरफ से भी
Jyoti Singh ने कहा…
बहुत ही सुंदर ,बधाई हो
आत्ममुग्धा ने कहा…
शुक्रिया दिल से

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