एक मिशन....एक वैज्ञानिक प्रयास । इसरो का एक बेहतरीन प्रयास....जिसके अंतिम कदम पर हम फिसल गये । जब प्रयास किये जाते है तो हम लागातार सफलता की ओर कदम दर कदम बढ़ते है , लेकिन सफलता या असफलता के परिणाम को सोच कर कभी प्रयास नहीं किये जाते, इसरो ने भी नहीं किये थे। हम पहले भी रोवर को चाँद तक पहूँचा चुके है, सफलता का स्वाद हम चख चुके है । इस बार कुछ चुक हुई होगी या कुछ परिस्थितियां ऐसी बन गई होगी कि हमारा संपर्क टूट गया......लेकिन इसे नैतिक दबाव की तरह लेने की जरुरत नहीं है। वैज्ञानिक प्रयोग सतत चलने वाली प्रक्रिया है , इतिहास गवाह है पहली बार में कोई प्रयोग सफल नहीं हुए है....बल्कि ऐसी असफलताएँ तो और अधिक सतर्कता से आने वाले प्रयोगों को सफल बनाती है । ऐपीजी कलाम की आत्मकथा में मैंने पढ़ा है कि कई विफलताओं का परिणाम ही रोहिणी सैटेलाइट का सफलतापूर्वक लाँच था।
इन सब के बीच सबसे सुखद रहा हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी की इसरो ऑफिस में उपस्थिति। इसरो चीफ का भावुक होना और प्रधानमंत्री मोदी का उन्हे गले लगाकर उनकी पीठ सहलाना....किन्ही शब्दों की जरुरत नहीं थी वहाँ ढ़ांढ़स बँधाने.....वो मानवता की,संवेदना की भाषा थी ....वो गले लगाना महज दिलासा नहीं था , एक शक्ति थी, हिम्मत थी, उर्जा थी। हमे हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है और हमारे देश के प्रधानमंत्री पर भी , जिन्होने परिणाम के बजाय प्रयास देखे और उन्हे सराहा, पीठ थपथपाई।
लेकिन एक बात ध्यान देने वाली ये है कि हमारे देश का मीडिया एक बार एक राग अलापना शुरू कर देता है तो वो दूसरी राग के आने तक थमता नहीं है ।
मीडिया.... क्या तुम्हे नहीं लगता कि तुम हर बात का उत्सव समय के पहले ही मनाने लगते हो.....थोड़ा संयम सीखो और संयत रहो । हर बार अति भाव विभोरता की स्थिति सही नहीं। विभोरता और उन्माद के चलते पता ही नहीं लगता कि क्या बोल रहे है और क्या कर रहे है.....सो प्लिज बी रिपोंसीबल 🙏
टिप्पणियाँ
जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
08/09/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
सटीक....
बहुत खूब