ब्रह्मांड देखा है तुमने ?
मैंने विचरण किया है
हवा सी लहराई हूँ
उन आँखों में गहरे उतर कर 
जैसे ब्लैकहोल को छू लिया हो
वो गहराई रम गई मुझमे
नजर बदल गई, नजरिया बदल गया
अब जैसे एकाकार हूँ मैं
समुचे ब्रह्मांड से
न जाने किसकी ओरबिट में
चाँद बनी घूम रही हू्ँ
तू मैं हूँ
मैं तू है
गहन गहनता लिये
गुरुत्वाकर्षण से बाहर हूँ मैं
सघन हूँ तुझमे
तुम एक दिव्य पूँज की तरह
स्थित हो मेरे अनाहत चक्र में
जिसे, बिना तुम्हारी इजाजत 
ले जा रही हूँ मैं
सहस्रार की ओर 
देखो.....
उन आँखों में उतर कर 
पुरा ब्रह्मांड पा लिया मैंने 
अब बोलो क्या कहोगे इसे ?
हर रोज सुबह की सैर मुझे पूरे दिन के लिये शारीरिक मानसिक रूप से तरोताजा करती है। सैर के बाद हम एक भैयाजी के पास गाजर, बीट, हल्दी, आंवला ,अदरक और पोदीने का जूस पीते है, जिसकी मिक्सिंग हमारे अनुसार होती है। हम उनके सबसे पहले वाले ग्राहक होते है , कभी कभी हम इतना जल्दी पहूंच जाते है कि उन्होने सिर्फ अपना सब सामान सैट किया होता है लेकिन जूस तैयार करने में उन्हे पंद्रह मिनिट लग जाते है, जल्दबाजी में नही होती हूँ तो मैं जूस पीकर ही आती हूँ, वैसे आना भी चाहू तो वो आने नहीं देते , दो मिनिट में हो जायेगा कहकर, बहला फुसला कर पिलाकर ही भेजते है। उनकी अफरा तफरी और खुशी दोनो देखने लायक होती है।       आज सुबह भी कुछ ऐसा ही था, हम जल्दी पहूंच गये और उन्होने जस्ट सब सैट ही किया था , मैं भी जल्दबाजी में थी क्योकि घर आकर शगुन का नाश्ता टीफिन दोनों बनाना था। हमने कहां कि आज तो लेट हो जायेगा आपको, हम कल आते है लेकिन भैयाजी कहाँ मानने वाले थे । उन्होने कहा कि नयी मशीन लाये है , आपको आज तो पीकर ही जाना होगा, अभी बनाकर देते है। मुझे सच में देर हो रही थी लेकिन फिर भी उनके आग्रह को मना न कर स...
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