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ब्रह्मांड देखा है ?

ब्रह्मांड देखा है तुमने ?
मैंने विचरण किया है
हवा सी लहराई हूँ
उन आँखों में गहरे उतर कर
जैसे ब्लैकहोल को छू लिया हो
वो गहराई रम गई मुझमे
नजर बदल गई, नजरिया बदल गया
अब जैसे एकाकार हूँ मैं
समुचे ब्रह्मांड से
न जाने किसकी ओरबिट में
चाँद बनी घूम रही हू्ँ
तू मैं हूँ
मैं तू है
गहन गहनता लिये
गुरुत्वाकर्षण से बाहर हूँ मैं
सघन हूँ तुझमे
तुम एक दिव्य पूँज की तरह
स्थित हो मेरे अनाहत चक्र में
जिसे, बिना तुम्हारी इजाजत
ले जा रही हूँ मैं
सहस्रार की ओर
देखो.....
उन आँखों में उतर कर
पुरा ब्रह्मांड पा लिया मैंने
अब बोलो क्या कहोगे इसे ?

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उम्मीद

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