कितना मुश्किल होता है
किसी की सिमटी तहों को खोलना
सिलवटे निकालना
और फिर से तह कर सौंप देना
प्याज की परतों सी होती है ये, पर
प्याज की तरह नहीं खोला जाता इन्हे
एक एक परत को सहेजना पड़ता है
अंतस तक पहूँचकर
बाहर निकलते वक्त
फिर से परत दर परत को
हूबहू रखना पड़ता है
जानती हूँ ये ढ़ीठ होती है
नहीं खुलेगी आसानी से
साधक की तरह सब्र रखना होगा
लेकिन विश्वास है
खुलेगी.......
प्याज की तरह नहीं
गुलाब की पंखुड़ियों की तरह....स्वतः ही
जब पायेगी ओस की बूंदों सा स्पर्श
कुछ परतें पार कर ली
कुछ अभी भी बाकी है
अंतिम तह में दबे
कुछ ग्लानि भावों को निकाल लाना है
फिर सौंप देनी है सभी परतें ज्यो की त्यो
क्योंकि हर परत पूँजी है उसकी
नहीं अधिकार किसी को भी
बेरोक टोक आने का
मैं जानती हूँ उसे
वो मेरी ही छाया है
अंश है मेरा
नहीं अनुमति देगी प्रवेश की.....
कोई और वहाँ पहूँच कर
तहस नहस करे
उसके पहले वहाँ जाना है
करीने से सब कुछ सजा कर फिर लौट आना है
और लौटना ऐसा कि
उसकी अंतिम तह सिर्फ उसकी
बस,मैं कोशिश में हूँ
ये एक बड़ा सा पौधा था जो Airbnb के हमारे घर के कई और पौधों में से एक था। हालांकि हमे इन पौधों की देखभाल के लिये कोई हिदायत नहीं दी गयी थी लेकिन हम सबको पता था कि उन्हे देखभाल की जरुरत है । इसी के चलते मैंने सभी पौधों में थोड़ा थोड़ा पानी डाला क्योकि इनडोर प्लांटस् को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और एक बार डाला पानी पंद्रह दिन तक चल जाता है। मैं पौधों को पानी देकर बेफिक्र हो गयी। दूसरी तरफ यही बात घर के अन्य दो सदस्यों ने भी सोची और देखभाल के चलते सभी पौधों में अलग अलग समय पर पानी दे दिया। इनडोर प्लांटस् को तीन बार पानी मिल गया जो उनकी जरुरत से कही अधिक था लेकिन यह बात हमे तुरंत पता न लगी, हम तीन लोग तो खुश थे पौधों को पानी देकर। दो तीन दिन बाद हमने नोटिस किया कि बड़े वाले पौधे के सभी पत्ते नीचे की ओर लटक गये, हम सभी उदास हो गये और तब पता लगा कि हम तीन लोगों ने बिना एक दूसरे को बताये पौधों में पानी दे दिया। हमे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस सख्त हिदायत दी कि अब पानी बिल्कुल नहीं देना है। खिलखिलाते...
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