जो जीवन जीना सीखाये
हर रंग में रंग जाना सीखाये
वो कृष्ण है
जो मान दे सभी को
सबके दिलों में समा जाये
वो कृष्ण है
जो रास रचाये,बंसी बजाये
महाभारत में शंखनाद करे
वो कृष्ण है
जो यशोदा का प्यारा है
देवकी का दुलारा है
वो कृष्ण है
जो रुक्मिणी का है....पर
राधा के बिना आधा है
वो कृष्ण है
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 25 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर माफी अनुपस्थिति के लिये
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंकृष्ण ही मोह ... कृष्ण की माया ...
जवाब देंहटाएंजग सारा कृष्णमय है ...
कृष्ण ही कृष्ण
हटाएंमाफी चाहती हूँ कि मैं समय पर उपस्थित नहीं हो सकी 🙏
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