जो जीवन जीना सीखाये
हर रंग में रंग जाना सीखाये
वो कृष्ण है
जो मान दे सभी को
सबके दिलों में समा जाये
वो कृष्ण है
जो रास रचाये,बंसी बजाये
महाभारत में शंखनाद करे
वो कृष्ण है
जो यशोदा का प्यारा है
देवकी का दुलारा है
वो कृष्ण है
जो रुक्मिणी का है....पर
राधा के बिना आधा है
वो कृष्ण है
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है
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जग सारा कृष्णमय है ...