खुशियाँ क्या होती है?
आज चहकते चिनार से पूछिये
घाटी की वादियों से पुछिये
पुछिये उन नजारों से
जो सहमे सहमे से जन्नत की सैरगाह कहलाते थे
खुशियां क्या होती है ?
उन लाखों धड़कते दिलों से पुछिये
जो अपने ही घर में पराये से रहते थे
पुछिये उन पहाड़ों से
जो खुशी से आज थोडें ऊँचें से अधिक है
उन झीलों से पुछिये
जो आज झिलमिला कुछ ज्यादा रही है
देवदार के पेड़ आज आमादा है
आसमान को गले लगाने
घाटी की सड़के हमेशा की तरह लहरदार है
पर आज बेखौफ कुछ ज्यादा है
पुछिये उस लाल चौक से
जो विरान सा था....
देश का मस्तक होकर भी मुकुट विहिन था
उसकी खुशी आज बेहद बेहिसाब है
बदल गई है नजर
सज गया है हर मंजर
पुछिये मेरे कश्मीर से
जहाँ आज खुशियाँ दस्तक दे रही है
हर रोज सुबह की सैर मुझे पूरे दिन के लिये शारीरिक मानसिक रूप से तरोताजा करती है। सैर के बाद हम एक भैयाजी के पास गाजर, बीट, हल्दी, आंवला ,अदरक और पोदीने का जूस पीते है, जिसकी मिक्सिंग हमारे अनुसार होती है। हम उनके सबसे पहले वाले ग्राहक होते है , कभी कभी हम इतना जल्दी पहूंच जाते है कि उन्होने सिर्फ अपना सब सामान सैट किया होता है लेकिन जूस तैयार करने में उन्हे पंद्रह मिनिट लग जाते है, जल्दबाजी में नही होती हूँ तो मैं जूस पीकर ही आती हूँ, वैसे आना भी चाहू तो वो आने नहीं देते , दो मिनिट में हो जायेगा कहकर, बहला फुसला कर पिलाकर ही भेजते है। उनकी अफरा तफरी और खुशी दोनो देखने लायक होती है। आज सुबह भी कुछ ऐसा ही था, हम जल्दी पहूंच गये और उन्होने जस्ट सब सैट ही किया था , मैं भी जल्दबाजी में थी क्योकि घर आकर शगुन का नाश्ता टीफिन दोनों बनाना था। हमने कहां कि आज तो लेट हो जायेगा आपको, हम कल आते है लेकिन भैयाजी कहाँ मानने वाले थे । उन्होने कहा कि नयी मशीन लाये है , आपको आज तो पीकर ही जाना होगा, अभी बनाकर देते है। मुझे सच में देर हो रही थी लेकिन फिर भी उनके आग्रह को मना न कर स...
टिप्पणियाँ