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कश्मीर

खुशियाँ क्या होती है?
आज चहकते चिनार से पूछिये
घाटी की वादियों से पुछिये
पुछिये उन नजारों से
जो सहमे सहमे से जन्नत की सैरगाह कहलाते थे
खुशियां क्या होती है ?
उन लाखों धड़कते दिलों से पुछिये
जो अपने ही घर में पराये से रहते थे
पुछिये उन पहाड़ों से
जो खुशी से आज थोडें ऊँचें से अधिक है
उन झीलों से पुछिये
जो आज झिलमिला कुछ ज्यादा रही है
देवदार के पेड़ आज आमादा है
आसमान को गले लगाने
घाटी की सड़के हमेशा की तरह लहरदार है
पर आज बेखौफ कुछ ज्यादा है
पुछिये उस लाल चौक से
जो विरान सा था....
देश का मस्तक होकर भी मुकुट विहिन था
उसकी खुशी आज बेहद बेहिसाब है
बदल गई है नजर
सज गया है हर मंजर
पुछिये मेरे कश्मीर से
जहाँ आज खुशियाँ दस्तक दे रही है

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