तुम उड़ान भरो
पंखों में अपनी जमीनी खुशबू लेकर उड़ो
सातवें आसमान के भी पार उड़ो
तुम उड़ो पाँवों में बाँध कर घूंघरूँ
अपनी कामयाबियों के
और उड़ती रहो.....लागातर...बिना थके...अनवरत
तुम भारत पुत्री हिमा हो
तुम नन्ही सी हो
जो जीतने पर
खुश होकर दौड़ पड़ती है
तिरंगा अपने कांधे पर उठाकर
और सार्थक कर देती है
'विश्व विजयी तिरंगा प्यारा'
की धारणा को
तुम मान हो देश का
गौरव हो, सम्मान हो
तुम बटोर लाई हो खुशियाँ
तुम समेट रही हो कुछ कालजयी लम्हें
तुम मुसकान हो देश की
माना कि....
ये देश ढ़िंढ़ोरा नहीं पीट रहा तुम्हारी सफलता का
शर्मिंदा है हम...
लेकिन यकिन मानो हिमा
मुक खड़ा यह देश भी छलका रहा है अपनी आँखे
बिल्कुल वैसे....
जैसे तुम्हारी छलकी थी राष्ट्रगान को सुनकर
जब पराये देश में फिरंगियों के बीच
ऊँचा उठता है तिरंगा .....और
गुंज उठता है जन गन मन
तो हम सब नतमस्तक हो जाते है तुम्हारे आगे
तब तुम अकेली....
एक पुरा देश होती हो हिमा
तुम समुचे भारत को खुद में समेट लेती हो
तुम्हे प्यार बहुत सारा हिमा 😍
ये एक बड़ा सा पौधा था जो Airbnb के हमारे घर के कई और पौधों में से एक था। हालांकि हमे इन पौधों की देखभाल के लिये कोई हिदायत नहीं दी गयी थी लेकिन हम सबको पता था कि उन्हे देखभाल की जरुरत है । इसी के चलते मैंने सभी पौधों में थोड़ा थोड़ा पानी डाला क्योकि इनडोर प्लांटस् को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और एक बार डाला पानी पंद्रह दिन तक चल जाता है। मैं पौधों को पानी देकर बेफिक्र हो गयी। दूसरी तरफ यही बात घर के अन्य दो सदस्यों ने भी सोची और देखभाल के चलते सभी पौधों में अलग अलग समय पर पानी दे दिया। इनडोर प्लांटस् को तीन बार पानी मिल गया जो उनकी जरुरत से कही अधिक था लेकिन यह बात हमे तुरंत पता न लगी, हम तीन लोग तो खुश थे पौधों को पानी देकर। दो तीन दिन बाद हमने नोटिस किया कि बड़े वाले पौधे के सभी पत्ते नीचे की ओर लटक गये, हम सभी उदास हो गये और तब पता लगा कि हम तीन लोगों ने बिना एक दूसरे को बताये पौधों में पानी दे दिया। हमे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस सख्त हिदायत दी कि अब पानी बिल्कुल नहीं देना है। खिलखिलाते...
टिप्पणियाँ
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर स्नेह की पाती.